जिनवाणी श्रवण करने से ही मानव जीवन बनेगा सार्थक: दर्शनप्रभाजी म.सा.
रूप रजत विहार में महासाध्वी इन्दुप्रभाजी के सानिध्य में नियमित चातुर्मासिक प्रवचन
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। चातुर्मासकाल जीवन में पुण्यार्जन का अवसर प्रदान करता है। हमे मानव भव क्यों प्राप्त हुआ है यह कभी नहीं भूलना चाहिए। कई बार पाप कर्म में लिप्त हो हम मानव भव मिलने का उद्ेश्य ही भूल जाते है इसीलिए हमारी ये गति ही नहीं आगे के भव भी बिगड़ जाते है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में सोमवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि तप, त्याग, साधना सभी चातुर्मास में पुण्य अर्जित करने के विभिन्न माध्यम है। इनसे पुण्य बढ़ाने के साथ पाप क्षय होते है। उन्होंने जैन रामायण के विभिन्न प्रसंगों का भी वाचन किया। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने माला जपने का महत्व बताते हुए कहा कि जो प्रतिदिन भगवान के नाम की माला जपता है उसके जीवन से दुःख गायब हो जाते है। प्रभु नाम की माला फेरना हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जाना चाहिए। रोज याद दिलाने की जरूरत नहीं आनी चाहिए कि आज माला फेरनी है। जब भी समय मिले माला फेरने में लग जाना चाहिए। माला जपने से पुण्योदय होने के साथ पापों का क्षय होता है। उन्होंने कहा कि स्वयं भी माला फेरनी चाहिए ओर दूसरों को भी इसके लिए प्रेरणा प्रदान करनी चाहिए। धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास यानि तप ओर त्याग की सीजन आई है। इसमें हम यथाशक्ति धर्म आराधना करके अपने पापों का क्षय कर सकते ओर मानव जीवन को सार्थक बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते है। जिनसे तपस्या हो सकती हो वह तप करें, जिनसे भक्ति हो सकती हो वह भक्ति करे लेकिन किसी न किसी रूप में ईश्वर की आराधना अवश्य करें। उन्होंने कहा कि हम भोग में डूबे रहकर पुण्य की कामना करें तो तभी ऐसा नहीं हो पाएगा। हम जीवन में खुशियां व शांति चाहते है तो हमे प्रतिदिन ईश्वर की आराधना के लिए समय अवश्य निकालना होगा। जिनवाणी श्रवण करने के लिए आना भी ईश्वर भक्ति का ही स्वरूप है। प्रतिदिन जिनवाणी श्रवण करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव हम महसूस कर सकेंगे। धर्मसभा में तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा.,नवदीक्षिता हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा किया गया। धर्मसभा में शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रावक-श्राविका बड़ी संख्या में मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है।
घण्टाकर्ण महावीर स्रोत का जाप मंगलवार को
चातुर्मासिक आयोजन के तहत मंगलवार 1 अगस्त सुबह 8.30 से 9 बजे तक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत जाप का आयोजन होगा। चातुर्मासकाल में प्रत्येक मंगलवार को इस जाप का आयोजन हो रहा है। मरूधर केसरी पूज्य प्रवर्तक गुरूदेव श्री मिश्रीमल जी म.सा. की जन्म जयंति एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक गुरूदेव श्री रूपचंदजी म.सा. की जन्म एवं पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में 24 से 30 अगस्त तक सात दिवसीय विशेष कार्यक्रम होंगे। इसके तहत 24 से 26 अगस्त तक सामूहिक तेला तप आराधना होगी। इसी तरह श्रमण संघीय आचार्य सम्राट आनंदऋषिजी म.सा. की जयंति पर 17 अगस्त को देश में एक लाख आठ हजार आयम्बिल तप आराधना में अधिकाधिक सहभागिता के लिए भी प्रेरणा प्रदान की जा रही है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना का आयोजन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र जाप हो रहा है।