सुनील पाटनी/चैन्नाई। ज्ञान से पुण्य का उदय होता है और अज्ञान मनुष्य के पाप व भय को जन्म देता है। सोमवार को साहूकार पेठ के जैन भवन मे मरूधर केसरी दरबार मे साध्वी धर्मप्रभा ने प्रवचन में फरमाया कि संसार में ज्ञान से बड़ी कौई भी वस्तु नहीं हैं। ज्ञान और अज्ञान मनुष्य के जीवन में नदी के दो तट कि तरह है। एक का उद्देश्य जीवन-लक्ष्य की खोज है तो दूसरे का आत्मा को ज्ञान से भटकाना है। मनुष्य ज्ञान को धारणकर आत्मा को उज्जवल बनाकर मानव जीवन को बना सफल बना सकता है, जबकि अज्ञान का साथ जीते -जी कितनी ही बार मनुष्य को कलंकित करता है और अस्तित्व को शून्य में मिलाकर अपमान की गर्त में धकेलकर आत्मग्लानि से भर देता है। ज्ञान ही देवत्व का मार्ग है, जो शांति, दया, उपकार, संतोष, प्रेरणा व उत्साह का सृजनकर मनुष्य को सन्मार्ग की ओर ले जाने में सहायक बनाकर आत्मा को परमात्मा मे विलय करवा सकता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि अज्ञान से बाहर कौई निकाल सकता है, तो वह ज्ञान ही है। अज्ञान हमें अंधकार मे धकेलता है ज्ञानी जानता है उसे मोह नही धकेल सकता है। असत्य ही मूल अज्ञान से मोह कसाय उत्पन्न करता है और हमारे जन्म मृत्यु का कारण भी है। जब हमारा ज्ञान सम्यक हो जाता है तो आत्मा पवित्र बन कर सत्य को जान लेती है। यह है अज्ञान हीहमारी आत्मा का पतन करता है। इस संसार में अज्ञान ही मनुष्य के जीवन के दुख का मूल कारण है। ज्ञान अंधकार को दुर करता है क्रोध को शांत कृता है पाप का नाश करता है ज्ञान हमारी आत्मा को नर से नारायण बना सकता है। सम्यक ज्ञान अगर मनुष्य मे आ जाऐ तो आत्मा केवल ज्ञान को प्राप्त कर सकती है। वह तभी संभव होगा जब मनुष्य अज्ञान मोह ओर आसक्ति का विसर्जन कर लेगा। इसदौरान धर्मसभा में चैन्नई के बावन बाजार ओर उपनगरों के श्रधदालुओं के साथ साहूकार श्री एस. एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम. अजितराज कोठारी कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया, महामंत्री सज्जनराज सुराणा, सुरेश डूगरवाल, हस्ती मल खटोड़, रमेश दरडा, शांतिलाल दरडा, महावीर चन्द कोठारी, जितेन्द्र भंडारी, शम्भूसिंह कावडिय़ा आदि पदाधिकारीयो की सभा मे उपस्थित रही। 20अगस्त को श्रमण संघ के दित्तीय पटट्धर आचार्य आनन्द ऋषि जी म.सा. एवं उपाध्याय केवल चंद जी महाराज की जन्म जयंती आयंबिल तप ओर गुणगान के साथ साहूकार पेठ मे साध्वी धर्मप्रभा के सानिध्य मे मनाई जाएगी।