अभिग्रह लेना कमजोर के बस की बात नहीं, महापुरूष होते अभिग्रहधारी: चेतनाश्रीजी म.सा.
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। जिंदगी कर्मो का खेल है। कर्म से बचा नहीं जा सकता। संयम, साधना, तप-जप कर कर्मो को काटा जा सकता है। कर्मो से डरेंगे तो वह खत्म हो जाएंगे। जब तक मोक्ष नहीं होगा कर्म हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगे। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में मंगलवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन में कर्मो का हिसाब करना ही पड़ता है। एक बार जो कर्म किए उसके फल अवश्य मिलते है। मन एक बार फट जाए तो फिर वापस नहीं जुड़ सकता भले दिखाने के लिए जुड़ भी जाए लेकिन वैसा प्रेम नहीं हो सकता। जिनशासन का गौरवमय इतिहास बताता है कि संसार असार है। साध्वीश्री ने जैन रामायण के विभिन्न प्रसंगों का वाचन करते हुए बताया कि किस तरह पवनजय अंजना को देखने जाते है। वहां से लौटते समय उनका राग मिट द्धेष उत्पन्न हो जाता है। पवनजय के मन में आता है कि अंजना अच्छी नहीं है ओर मित्र से कहते में है में इससे शादी नहीं करूंगा। मित्र के समझाने के बाद पवनजय शादी के लिए तैयार हो जाते है एवं तोरण मार देते है लेकिन अंजना समझ जाती है कि वह उससे प्रेम नहीं करते है। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने माला जपने का महत्व बताते हुए कहा कि माला में मन रमाने पर आत्मकल्याण हो जाता है। अध्यात्म को पाकर ही जीवन सार्थक हो सकता है। उन्होंने अभिग्रहधारी वेणीचंदजी म.सा. की कठिन तपस्या का जिक्र करते हुए कहा कि अभिग्रह लेना कमजोरों के बस की बात नहीं है, महापुरूष ही अभिग्रहधारी हो सकते है। महापुरूषों के अंग-अंग में लब्धि होती है। उनका स्पर्श मात्र भी लब्धि होता है। साध्वीश्री ने कहा कि तपस्वी की हर चीज औषधि होती है। क्लिष्ट कर्मो को समाप्त करने के लिए अभिग्रह व्रत जरूरी होता है। वह भाग्यशाली होते है जो नवकार मंत्र सुनते हुए अंतिम श्वास लेते है। हर परिस्थति में अपने धर्म के प्रति दृढ़ श्रद्धावान एवं आस्थावान बने रहे।
धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी दर्शनप्रभाजी म.सा.,तत्वचिंतिका1 डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा.,नवदीक्षिता हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में ब्यावर, रामगढ़ आदि स्थानों से आए अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रावक-श्राविका बड़ी संख्या में मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि चातुर्मासिक नियमित प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना का आयोजन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र जाप हो रहा है।
सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत का जाप
रूप रजत विहार में मंगलवार सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक सर्वसुखकारी व सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत जाप का आयोजन किया गया। तत्वचिंतिका डॉ.समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने ये जाप सम्पन्न कराया। इसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर सभी तरह के शारीरिक कष्टों के दूर होने एवं सर्वकल्याण की कामना की। चातुुर्मासकाल में प्रत्येक मंगलवार को सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक इस जाप का आयोजन हो रहा है।
दादा-दादी दिवस मनाया जाएगा 6 अगस्त को
चातुर्मास में 6 अगस्त को दादा-दादी दिवस मनाया जाएगा। इस दिन दादा-दादी को पोते-पोतियों के साथ प्रवचन में आना है। प्रवचन के माध्यम से बताया जाएगा कि दादा-दादी कैसे अपने पोते-पोतियों के जीवन में अहम भूमिका निभाते हुए उन्हें धर्म से जोड़ने के साथ संस्कारवान बना सकते है। मरूधर केसरी पूज्य प्रवर्तक गुरूदेव श्री मिश्रीमल जी म.सा. की जन्म जयंति एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक गुरूदेव श्री रूपचंदजी म.सा. की जन्म एवं पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में 24 से 30 अगस्त तक सात दिवसीय विशेष कार्यक्रम होंगे। इसके तहत 24 से 26 अगस्त तक सामूहिक तेला तप आराधना होगी। इसी तरह श्रमण संघीय आचार्य सम्राट आनंदऋषिजी म.सा. की जयंति पर 17 अगस्त को देश में एक लाख आठ हजार आयम्बिल तप आराधना में अधिकाधिक सहभागिता के लिए भी प्रेरणा प्रदान की जा रही है।