Sunday, November 24, 2024

संयम के साथ शुभ भावना करते रहना चाहिए: आचार्य आर्जव सागर जी महाराज

तेरह चौदह अगस्त को होगा चिकित्सक सम्मेलन: विजय धुर्रा

अशोक नगर। संयम के साथ शुभ भावना करते रहना चाहिए जिससे आप आर्त रौद्र ध्यान से बचने रहे हमारे मन में चौबीस घंटे आर्त रौद्र ध्यान चलता रहता है इसने मुझसे ऐसा कह दिया उसके पैसे नहीं आये फलां व्यक्ति मुझे भला बुरा कह रहा था मैं उसे छोड़ूंगा नहीं तरह तरह के आर्त रौद्र ध्यान हमारे मन में चलते रहते हैं और हमें पता ही नहीं चलता बैठे तो हम धर्म सभा में हैं और मन विदेश में हुई घटना के क्या परिणाम निकलेंगे उससे किसको हानि लाभ होगा इसमें लगा है इन सब से वचने के लिए मन पर संयम रुपी लगाम लगाना जरूरी है हमारा मन वाहन भटकने ना पायें हमारे ही पास रहें तव ध्यान की भूमिका वनेगी उक्त आश्य के उद्गार आचार्य श्रीआर्जवसागर जी महाराज ने सुभाषगंज मैदान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

आर्यवेदिक संगोष्ठी में पड़ जायेंगे आलेख
समारोह का संचालन करते हुए मध्यप्रदेश महासभा के संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि आचार्य श्री आर्जवसागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में आगामी तेरह चौदह अगस्त को चिकित्सकों का सम्मेलन होगा जो हमारी प्राचीन आर्य वेद चिकित्सा से संबंधित होगा इस चिकित्सा सम्मेलन में वाहर से चिकित्सकों का समूह हमारे नगर पधारकर आर्युवेद चिकित्सा के संवंध में अपने लेखों का वाचन करेंगे और आर्युवेद चिकित्सा के संवंध में हमें नई नई जानकारी देंगे इस सम्मेलन में स्थानीय चिकित्सको भी आमंत्रित किया जायेगा इसके पहले धर्म सभा में मंगल गान राजेश कासंल ने व आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल थूवोनजी तीर्थ के महामंत्री विपिन सिंघई पंचायत सदस्य प्रदीप तारई टिकंल जैन नितिन बज सहित अन्य भक्तों ने किया आचार्य श्री की पूजन का सौभाग्य श्री विद्यासागर महिला मंडल को मिला।
जो आपने सीख लिया उसका मनन चिंतन करते रहना चाहिए
धर्म सभा में आचार्य श्री ने कहा कि ज्ञान को वाटने से ज्ञान बड़ता है यदि ज्ञान को आप वाटेगे नहीं तो ज्ञान विलीन हो जायेगा कहा भी है पानी सड़ां क्यों घोड़ा अड़ा क्यों रोटी जली क्यों इनको हम वदले नहीं तो ये उपयोग हीन होते चले जायेंगे आप रोटी वना रहे हैं उसे पलटो नहीं तो वह जल जायेगी पानी को रोक लिया तो वह सडं जायेगा घोड़े को नहीं चलाया तो अड़ जायेगा ज्ञान को हमने वांटा नहीं तो वह विस्मृत हो जायेगा ये प्रकृति का नियम है इसलिए आपके पास जो ज्ञान है उसका सदुपयोग करते हुए अभ्यास करते रहना चाहिए लोग आकर कहते हैं महाराज प्रवचन तो बहुत अच्छे लगे लेकिन कुछ याद नहीं रहता याद होगा अभ्यास करने से जो आपने सीख लिया उसका मनन चिंतन करते रहना चाहिए

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