दुर्लभ है मनुष्य भव का मिलना: पुरुषोत्तम शरण महाराज
जयपुर। जनता कॉलोनी स्थित जनोपयोगी भवन में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को व्यासपीठ से पूज्य पुरुषोत्तम शरण महाराज ने कहा कि मनुष्य भव बहुत दुर्लभ है,यह भव हम सभी को 84 लाख योनियों में भ्रमण करने के बाद मिलता है। इस भव का लाभ उठाकर हम सभी को अपना तन-मन व धन ईष्वर की पूजा भक्ति में समर्पित कर देना चाहिए। मनुष्य भव बहुत अनमोल है,जो बड़े भाग्योदय से प्राप्त होता है,इस भव का लाभ उठाकर हमें अपना जीवन ईष्वरीय आराधना के लिए समर्पित कर देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जीवन में हमें जो भी मिला है,उसमें संतोष धारण कर इस मनुष्य भव प्राप्ति के लिए ईष्वर के प्रति कृतार्थ की भावना भाना चाहिए और कभी भी धन,विद्या,बल आदि का अहंकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अहंकार की भावना को त्यागकर परोपकार की भावना के साथ कार्य करना चाहिए। जीवन में निष्काम भाव से की गई भक्ति सदैव कारगर होती है। कथा प्रसंग के तहत महाराज श्री ने सती चरित्र का भाव पूर्ण विवेचना करते हुए कहा कि विवाह के बाद पति का घर ही अपना घर होता है, पति की आज्ञा ही सर्वोपरि होती है। माता सती भोले बाबा के मना करने पर भी माता-पिता से मोह वश बिना निमंत्रण माता पिता के घर चली गई।उसका परिणाम अच्छा नही हुआ। कुछ अहंकारी लोग कोई आयोजन सिर्फ किसी को अपमानित करने, नीचा दिखाने के लिए करते है, इसका परिणाम भी बुरा होता है। राजा दक्ष में शंकर जी को आमंत्रित नहीं कर अपमानित करने के उद्देश्य से यज्ञ आयोजन किया। परिणाम सर्वनाश के रूप में सामने है। उन्होंने आगे कहा कि जो आत्म हत्या कर लेता है, उसका उद्धार नहीं होता है।किसी भी परिस्थिति सामने हो, अपने इष्ट को याद करो और अपने आप को भगवान के चरणों में समर्पित कर दो, और कहो कोई भगवन मेरा कोई सहारा नहीं है, मैं आपके के सहारे हूं,जो चाहे सो करो। प्रभु कभी बुरा नहीं होने देते है। कथा के प्रारंभ व अंत में मुख्य आयोजक गोरधन बड़ाया ने परिवार सहित रामकथा की पूजा की व आरती उतारी। बड़ाया ने बताया कि महोत्सव के तहत शुक्रवार को षिव-पार्वती विवाह, 29 को श्री राम जन्मोत्सव व बधाईयां,30 को राम जनाकी विवाह महोत्सव, 31 को वन गमन,1 को भरत मिलाप,2 को नवधा भक्ति व अंतिम दिन 3 को रावण वध, राजतिलक की कथा सुनाएंगे। कथा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से 6 बजे तक होगी।