जयपुर। जनकपुरी ज्योतिनगर जैन मन्दिर में चातुर्मास रत गणिनी आर्यिका विशुद्ध मति माताजी की युवा शिष्या आर्यिका विशेष मति माताजी ने आज बुधवार के प्रवचन में कहा की जिस प्रकार रोगों को नष्ट करने हेतु चिकित्सालय जाते है उसी प्रकार अपने कर्मों को नष्ट करने भगवान के पास मन्दिर जाते है । श्रावक के तीन मूल गुण में एक नित्य देव दर्शन भी है । माताजी ने पानी छान कर पीने के संबंध में स्पष्ट किया की छने हुए पानी की मर्यादा मात्र 48 मिनट होती है अर्थात् इस समय के बाद पानी को छना हुआ नहीं कह सकते । इसी प्रकार रात्रि भोजन त्याग के बारे में भी श्रोताओं को समझाया ।प्रवचन से पूर्व संयम भवन में प्रातः स्वाध्याय में स्वयम्भू स्तोत्र का वाचन किया जा रहा है ।