सुनील चपलोत/भीलवाड़ा। कर्म कभी भी निरथर्क नही जाते है। बुधवार को अहिंसा भवन मे साध्वी प्रितीसुधा ने श्रध्दालूओ को सम्बोधित करतें हुए कहा कि मनुष्य के जीवन मे जितनें भी सुख. दुःख आते हैं, वो कर्मो के उदय के कारण ही जीवन मे आतें हैं। इंसान जैसे कर्म करता है वैसा ही फल भोगता है,अशुम कर्मो के उदय के कारण संसार में मयार्दा पुरूषोत्तम भगवान राम, भगवान महावीर स्वामी, राजा हरीशचंद्र आदि अनेक महापुरुषों ने अशुभ कर्मों के उदय से जीवन में अनेंको कष्टों और वेदनाओं को सहन करके सम्पूर्ण कर्मो क्षय किया था फिर इस दुनिया मे साधारण मनुष्य की क्या औंकात है जो कर्मो के बंधन से पीछा छुड़ा लेगा। भोगे बिना यह कर्म मनुष्य पीछा नही छोंड़ने वालें। फिर भी इंसान पाप करने से नही डरता हैं। वो यह सोचता हैं कि मुझे कौई नही देख रहा हैं। परन्तु लाख जतन करलें कर्म उसे छोड़नें वालें नही हैं। कर्म जब उदय में आते तो अच्छे -अच्छो को नाच नचवा देतें हैं। सम्पूर्ण कर्मो के क्षय होने पर ही मानव संसार से मुक्ति का मार्ग पा सकता है। साध्वी मधूसुधा ने कहा कि बिना भोगे कर्म छुटने वाले नहीं है। कर्मो का भुगतान होगा तभी आत्मा का संसार से उध्दार हो सकता है अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल ने जानकारी देतें हुए बताया कि अशोक पोखरना, हेमन्त आंचलिया, महामंत्री रिखबचंद पीपाड़ा, सुशील चपलोत, संदीप छाजेड़, सुरेश गौखरू, सरदारसिंह कावड़िया, राजेन्द्र चीपड़, अमरसिंह संचेती आदि पदाधिकारियों के साथ मंजू बाफना, सुनीता झामड़, लाड़ पीपाड़ा, उषा बाबेल, अंजना सिसोदिया, अंजना सिसोदिया, सुशीला छाजेड़, अंजना छाजेड़ आदि पदाधिकारियों और सैकड़ों श्रावक श्राविकाओ की धर्मसभा में उपस्थित रही और अनेक भाई बहनों आंयबिल एकासाना व्रत के साध्वीमंडल से प्रत्याख्यान लिए।