48 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र प्रवचन श्रृंखला एवं दिपर्चन
अनिल पाटनी/अजमेर। 48 दिवसीय आयोजन के अन्तर्गत नौवें दिन आचार्य विवेक सागर महाराज ने पंचायत छोटा धड़ा नसियां में उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा देव आज्ञा, गुरु आज्ञा, शास्त्र आज्ञा इन्हीं तीनो शब्दो में ही पूरा विश्व समाया है। हिंदी वर्णमाला अ से प्रारंभ होकर ज्ञा पर पूर्ण होती हैं आज्ञा मे ही सब समाहित है आचार्य मानतुंग स्वामी कहते हैं कि हे प्रभु आपकी आज्ञा मिली है तो मै कैसे नहीं भक्ति करू भक्तामर में भक्ति करने का माध्यम तो है ही लेकिन यहां प्रभु आज्ञा भी है यदि हम जिनेन्द्र भगवान की आज्ञा मे नहीं चलते हैं तो हम कृतघ्नी हैं जिनेन्द्र प्रभु तीन चीजे कहते है नित्य देव दर्शन, रात्रि भोजन निषेध, पानी छानकर पीना यह सच्चे श्रावक का धर्म है। भक्तामर के नौवें काव्य में लिखा है धर्म प्रभावना करो आदिनाथ तीर्थकर की प्रतिमा इतनी सुंदर है ये दूसरे को बताओ, भगवान से बाते करना भी भक्ति कहलाती हैं, भगवान में सच्ची श्रद्धा रखने पर भी पाप कर्म दूर हो जाते है, प्रभु में हमारी सच्ची श्रद्धा और आस्था होगी तभी पुण्य प्राप्त होगा। इससे पूर्व आयोजन में भक्तामर मंगल कलश की स्थापना एवं मांगलिक क्रियाएं मनभर देवी ठोलिया मातुश्री मनोज-मंजू, निष्ठा ठोलिया परिवार ने सम्पन्न की इनका समिति अध्यक्ष सुशील बाकलीवाल, कोमल लुहाड़िया, विनय पाटनी, नरेन्द्र गोधा, नितिन दोसी, लोकेश ढिलवारी आदि ने माला शाल पहनाकर व प्रशस्ति पत्र देकर स्वागत अभिनन्दन किया।
संगीतमय श्री भक्तामर स्तोत्र पाठ में 48 दीप समर्पित
मंगलवार शाम को भगवान आदिनाथ की प्रतिमा के समक्ष संगीतमय भक्तामर महिमा पाठ भव्य आयोजन किया गया। प्रवक्ता पदम चन्द सोगानी ने बताया कि भक्तामर स्तोत्र पाठ का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया, संगीत पार्टी व भजन गायक लोकेश ढिलवारी के भक्तिमय स्वरो के साथ साथ पुण्यार्जक मनोहर देवी ठोलिया मातुश्री मनोज-मंजू , निष्ठा ठोलिया परिवार के साथ समाज बन्धुओं ने सामूहिक रूप से भक्तामर के 48 महाकाव्यों को ऋद्धि सिद्धी मंत्रो उच्चारणो के साथ 48 दीप प्रज्वलित कर समर्पित किए गये तत्पश्चात जिनेन्द्र महाआरती की।