Saturday, September 21, 2024

संयम जीवन का आधार, खाने व वाणी में संयम से समस्याओं का समाधान: डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा.

संयम रखने पर मन व तन दोनों को शांति मिलेगी

रूप रजत विहार में महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में संयम दिवस पर व्याख्यानमाला

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। जिनवाणी हम भव जीवन से तारने वाली है। जिनवाणी सीखाती है संयम ही जीवन है। संयम समस्याओं का समाधान तो असंयम समस्याओं की जड़ व दुःख का कारण है। संयम से ही आत्मा को सुख व शांति मिलती है। वाणी का संयम मानसिक शांति देता है तो खाने का संयम शारीरिक बीमारियों से बचाता है। ये दोनों संयम रखने पर मन व तन दोनों को शांति मिलेगी। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में मंगलवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में अणुव्रत समिति भीलवाड़ा के तत्वावधान में संयम दिवस पर व्याख्यानमाला में मधुर व्याख्यानी दर्शनप्रभाजी म.सा. ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति शारीरिक से ज्यादा मानसिक बीमारियों से परेशान होता है। मानसिक अशांति ही जीवन में तनाव का कारण होती है। इस तनाव के चलते ही ह्दयघात के मामले बढ़ रहे है। साध्वीश्री ने कहा कि हम अभी धर्म साधना में पीछे है ओर सांसारिक मोह माया में ही उलझे हुए है। इंसान जब 70-75 वर्ष का हो जाए तो उसे खुद सांसारिक क्रियाओं से विरक्त होकर धर्मसाधना के लिए समर्पित कर देना चाहिए। धर्मसभा में नवदीक्षिता हिरलप्रभाजी म.सा. ने गीत ‘संसार है परदेश धन्य है जो चल पड़े’ की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा., तत्वचिंतिका डॉ.समीक्षाप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में अणुव्रत समिति भीलवाड़ा की ओर से बताया गया कि वर्ष 1949 में आचार्य तुलसी की प्रेरणा से अणुव्रत आंदोलन की शुरूआत हुई जो अब 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इसके तहत हर मंगलवार को संयम दिवस मना लोगों को अणुव्रत से जुड़ने की प्रेरणा दी जा रही है। अणुव्रत समिति की ओर से श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा का सम्मान भी किया गया। धर्मसभा में शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रावक-श्राविका बड़ी संख्या में मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के मंत्री सुरेन्द्र चौरड़िया ने किया। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है।

संथारा साधना संग छोड़ते देह तो मृत्यु भी बन जाता महोत्सव

गुरू मिश्री रूप सुगन की परमभक्त संथारासाधिका सुश्राविका श्रीमती प्रेमदेवीजी डांगी (धर्मपत्नी-श्री गजराजसिंह डांगी) के आध्यात्मिक वातावरण में संथारा सम्पन्न कर देवलोकगमन पर धर्मसभा में भावाजंलि अर्पित की गई। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. एवं दर्शनप्रभाजी म.सा. ने दिवंगत आत्मा की आध्यात्मिक प्रगति की मंगलकामना करते हुए कहा कि जब संथारा साधना संग देह छोड़ी जाए तो मृत्यु भी महोत्सव बन जाता है। हमेशा धर्म प्रभावना के लिए अग्रणी रहने वाली सुश्राविका प्रेमदेवी ने सदा देव, गुरू व धर्म की सेवा व भक्ति भावना से जिनशासन का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि संथारा ग्रहण करते वक्त ओर देह छोड़ते वक्त भी हम उनके पास में थे। अंतिम पलों तक भी वह चेतन अवस्था में रहकर धर्म की साधना कर रहे थे। धर्मसभा में श्री अरिहन्त विकास समिति की ओर से भी भावांजलि अर्पित की गई।

सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत का जाप

रूप रजत विहार में मंगलवार सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक सर्वसुखकारी व सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत जाप का आयोजन किया गया। मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने ये जाप सम्पन्न कराया। इसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर सभी तरह के शारीरिक कष्टों के दूर होने एवं सर्वकल्याण की कामना की। चातुुर्मासकाल में प्रत्येक मंगलवार को सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक इस जाप का आयोजन हो रहा है।

पार्श्वनाथ निर्वाण कल्याणक दिवस पर कल ‘उवसग्गहरं’ मंत्र का जाप

जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष (निर्वाण) कल्याणक दिवस के उपलक्ष्य में 26 जुलाई बुधवार को पार्श्व प्रभु की स्तुति स्वरूप सुबह 8.45 से 9.15 बजे तक ‘उवसग्गहरं’ मंत्र का जाप कराया जाएगा। साध्वीवृन्द ने निर्वाण कल्याणक दिवस अष्टमी होने से सभी श्रावक-श्राविकाओं को संवर (पोषध) आराधना की प्रेरणा भी दी है। श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा के अनुसार चातुर्मास के तहत प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना का आयोजन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र जाप एवं दोपहर 3 से 4 बजे तक साध्वीवृन्द के सानिध्य में धार्मिक चर्चा हो रही है।

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