Saturday, November 23, 2024

नवागढ़ की पुरा संपदा ऐतिहासिक धरोहर: आचार्य श्रुतसागर महाराज

नवागढ़ अभिलेख एवं पुरातत्व का लोकार्पण

ललितपुर। मयूर विहार दिल्ली में विराजित निर्यापक पट्टाचार्य श्री श्रुतसागर महाराज के मंगल सान्निध्य में प्रागैतिहासिक नवागढ़ क्षेत्र जिला ललितपुर पर केन्द्रित नवागढ़ अभिलेख एवं पुरातत्व शोध ग्रंथ का लोकार्पण मयूर विहार के अध्यक्ष विजय कुमार जैन, महामंत्री अरविंद जैन एवं समस्त पदाधिकारियों के साथ ग्रीन पार्क महिला मंडल की अध्यक्ष सरिता जैन एवं मयूर विहार की महिला अध्यक्ष अंजू जैन, रेनू जैन ने संपादित किया। नवागढ़ क्षेत्र के निर्देशक ब्रह्मचारी जयकुमार निशांत ने यह ग्रंथ आचार्यश्री को भेंट किया। नवागढ़ पर डॉक्टर अर्पिता रंजन दिल्ली ने शोधकार्य किया है।
इस अवसर पर आचार्य श्री श्रुतसागर महाराज ने अपने उदबोधन में बताया ब्र. जय भैया विगत 25 वर्षों से संपर्क में हैं। आपने प्रतिष्ठा कार्य को आगमोक्त विधि से करते हुए विशेष आयाम स्थापित किया है। मुझे प्रसन्नता है आपने प्रतिष्ठा कार्य के साथ इतिहास पर भी कार्य करना आरंभ किया है। नवागढ़ में प्राप्त शैल चित्र जिनमें जैनदर्शन के गूढ़ रहस्य संकेत रूप में चित्रित हैं, विशेष हैं इनमें जहां श्रावकों की चर्या, मुनिचर्या को चित्रित किया है वहीं सल्लेखना द्वारा मुक्ति को प्राप्त करने के संकेत भी हैं। नवागढ़ में प्राप्त पुरा संपदा जैन दर्शन, पुरातत्व की ऐतिहासिक धरोहर हैं।
नवागढ़ तीर्थक्षेत्र कमेटी के प्रचारमंत्री डॉ. सुनील संचय ने बताया कि डॉक्टर अर्पिता रंजन जो भारतीय पुरातत्व विभाग दिल्ली में सहायक अधीक्षण पुरालेखविद के रूप में कार्यरत हैं, आपने विगत 4 वर्षों में नवागढ़ क्षेत्र के अभिलेखों, प्रतिमाओं, कलाकृतियों एवं परिवेश का अध्ययन करते हुए नवागढ़ से प्राप्त संस्कृत अभिलेख एवं पुरातात्विक साक्ष्यों का समीक्षात्मक अध्ययन विषय पर शोध प्रबंध किया है आपने यह शोध प्रबंध डॉ प्रकाश राय वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा बिहार के निर्देशन में संपादित किया है, आपने इस ग्रंथ में नवागढ़ के सभी साक्ष्यों के आधार पर उसकी ऐतिहासिकता ,सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत पर वृहद विवेचन करते हुए यह कार्य संपन्न किया है। इस शोध प्रबंध का प्रकाशन पंडित गुलाब चंद्र पुष्प प्रतिष्ठाचार्य स्मृति ट्रस्ट एवं नवागढ़ समिति के द्वारा भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली से किया गया है।
निदेशक ब्र. जय निशांत भैया ने अपने उदबोधन में कहा कि आचार्य महाराज ने अपनी तपा शक्ति, इच्छाशक्ति एवं साधना शक्ति के द्वारा ट्यूमर जैसे रोग को दूर किया है। कई माह तक चल नहीं पाने की स्थिति में भी आपने अपने चर्या से कोई समझोता नहीं किया। आज हमें मंत्र शक्ति, भक्ति से साक्षात्कार कराया है। आचार्यश्री के आशीर्वाद से मेरे एवं डॉक्टर बृजेश कुमार रावत लखनऊ के द्वारा जैन दर्शन की प्राचीनता इतिहास एवं पुरातत्व को देश विदेश से प्राप्त साक्ष्यों को एकत्रित करके इन के माध्यम से जैनदर्शन की प्राचीनता सांस्कृतिक विरासत को सभी के समक्ष चित्रावली के माध्यम से प्रस्तुत करना हैं। समाज अध्यक्ष श्री विजय कुमार जी ने निशांत जी का सम्मान करते हुए कहा इस मंदिर में शून्य से शिखर तक जो भी कार्य हुए हैं जय भैया जी ने हीं कराए हैं। मैं चाहता हूं आपका इसी प्रकार सहयोग सदैव मिलता रहे।

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