गंगवाल परिवार के साथ श्रद्धालुओं ने किए 48 दीप समर्पित
अनिल पाटनी/अजमेर। श्री दिगम्बर जैन मुनि संघ सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित 48 दिवसीय श्री भक्तामर स्त्रोत प्रवचन श्रृंखला एवं दिपर्चना मे आठवें दिन पंचायत छोटा धड़ा नसियां में आचार्य विवेक सागर महाराज ने श्रावकों को भक्तामर स्त्रोत की महिमा बताते हुए इसे अतिशयकारी बताया, कहा कि इसकी आराधना और भक्ति जीवन में कल्याणकारी है। उन्होंने कहा कि भक्त कभी अपने गुरु का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता है। आचार्यश्री ने भक्तामर स्त्रोत की रचना और कारण के संबंध में कहा कि सातवीं शताब्दी में उज्जैन की धार नगरी में राजा भोज के समय आचार्य मानतुंग स्वामी ने जेल में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ प्रभु की भक्तिपूर्वक आराधना संस्कृत में की थी। पदम चन्द सोगानी ने बताया इससे पूर्व आयोजन में चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन एवं भक्तामर मंगल कलश की स्थापना सुरेश-बीना गंगवाल परिवार ने सम्पन्न की इनका समिति अध्यक्ष सुशील बाकलीवाल,कोमल लुहाड़िया, विनय पाटनी आदि ने प्रशस्ति पत्र देकर स्वागत अभिनन्दन किया मंच संचालन नरेन्द्र गोधा व लोकेश ढिलवारी ने किया।
गंगवाल परिवार के साथ श्रद्धालुओं ने किए 48 दीप समर्पित
सांयकालीन भव्य आयोजन में श्री भक्तामर स्तोत्र के 48 काव्यों का संस्कृत मे संगीतमय पाठ किया गया पुण्यार्जक सुरेश – बीना गंगवाल परिवार द्वारा दीपआराधना की गई। जिसमें गंगवाल परिवार के साथ श्रद्धालुओं ने मिलकर 48 दीप समर्पित किए तत्पश्चात सामूहिक आरती और धर्म प्रभावना का वितरण किया गया।