विभिन्न मुनि, आर्यिकाओं संघो के सुझावों सहित सकल जैन समाज के प्रयासों से हुआ गठन
फागी। राजस्थान सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा राज्य जैन श्रमण संस्कृति बोर्ड गठित करने पर सकल जैन समाज फागी सहित परिक्षेत्र के चकवाड़ा, चौरु, नारेड़ा, मंडावरी, मेहंदवास निमेड़ा रेनवाल माधोराजपुरा चित्तौड़ा पीपला एवं लदाना के सारे सकल जैन समाज ने मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत का कोटी कोटी आभार व्यक्त कर धन्यवाद दिया है। जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि राज्य जैन श्रमण संस्कृति बोर्ड गठित करने से समाज के साधु संतों की सुरक्षा सहित समाज हित की अनेक समस्याओं का निदान हो सकेगा। उक्त कार्यक्रम में समाज सेवी सोहन लाल झंडा, केलास कलवाडा, मोहनलाल झंडा, केलास कासलीवाल अग्रवाल समाज के अध्यक्ष महावीर झंडा, सरावगी समाज के अध्यक्ष महावीर अजमेरा, फागी पंचायत समिति के पूर्व प्रधान महावीर प्रसाद जैन, पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा, विनोद कलवाडा, सुरेंद्र बावड़ी, विमल कुमार कलवाड़ा चार्तुमास कमेटी के अध्यक्ष अनिल कठमाना, कमलेश मंडावरा,कमलेश चोधरी, मितेश लदाना, त्रिलोक पीपलू तथा राजाबाबु गोधा सहित पूरी चार्तुमास कमेटी, एवं सारे समाज ने शुभकामनाएं प्रेषित कर धन्यवाद दिया है, पूर्व प्रधान सुकुमार झंडा ने अवगत कराया कि मुख्यमंत्री महोदय ने गंभीरता का परिचय देते हुए राजस्थान जैन धर्म के संरक्षण के प्रति जो संवेधानिक कदम उठाया है वह सराहनीय है ओर इस कदम से राजस्थान भारत का पहला राज्य बन गया है उन्होंने बताया कि उक्त गठन से राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित 7 सूत्रीय आदेश होंगे लाभकारी –
- जैन धर्म श्रमण परम्पराओ के संबंध में राज्य सरकार को सुझाव देना ।
- जैन समुदाय के लोगो के कल्याण हेतु इस समाज के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने एवं उनके प्रचार प्रसार के सम्बंध में राज्य सरकार को सुझाव देना
3.जैन समुदाय पर आधारित पुरातात्विक धरोहरों एवं मन्दिरो का संरक्षण एवं नव निर्माण के सम्बंध में राज्य सरकार को सुझाव देना ।
4.जैन समुदाय के प्राचीन साहित्य का संकलन, संरक्षण एवं शोध कार्य पर राज्य सरकार को सुझाव देना ।
- जैन समुदाय के आराध्य 24 तीर्थंकरों पर रचे गये लोक साहित्य का प्रकाशन व प्रचार प्रसार करना ।
- जैन समुदाय के आराध्य भगवान महावीर के शांति एवं अहिंसा के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार करना ।
- जैन समुदाय के श्रमण, सन्तो एवं साध्वियों और श्रावक श्राविकाओं को भ्रमण के दौरान कानूनी संरक्षण प्रदान करने का सुझाव राज्य सरकार को देना।
अब हम सभी का दायित्व है कि अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हुए, राजस्थान में जैन धर्म की पताका को अनवरत रखें ।