Tuesday, November 26, 2024

सर्वत्र विराजमान रहते हैं प्रभु: श्रीगिरिराज शास्त्री

हिंडौला फलों की मनोरथ की झांकी सजाई
जयपुर।
अधिक मास के अवसर पर श्री वल्लभ पुष्टिमार्गीय मंदिर प्रबंध समिति व श्री पुष्टिमार्गोय वैष्णव मंडल,जयपुर के बैनर तले मोहनबाड़ी स्थित श्री गोवर्धननाथ जी मंदिर में श्री गोवर्धन नाथ जी प्रभु व मथुराधीष स्वामी प्रभु के मनोरथों के दर्षन व 56 भोग महामहोत्सव के तहत आयोजित श्रीमद भागवत कथा में रविवार को बड़ोदरा निवासी श्रीगिरिराज शास्त्री ने व्यास पीठ से कहा कि हिरण्यकशिपु के द्वारा अति भयंकर कष्ट दिए गए। यहां तक कि श्री प्रहलाद जी को विष पिलाया गया. हाथी से कुचलवाया गया. अग्नि में जलाया गया। तरह-तरह की यातनाएं दी गई,परन्तु श्री प्रहलाद जी हर जगह अपने प्रभु का ही दर्शन करते थे। इसलिए उन्हें कहीं भी किसी भी प्रकार की पीडा का एहसास नहीं हुआ। उन्हें विश्वास था कि हमारे प्रभु सदा-सर्वदा सर्वत्र विराजमान रहते है। तो प्रभु श्रीनृसिंह भगवान भक्त के विश्वास को पूर्ण करते हुए खम्भ से प्रगट होकर यह दिखा दिया कि भक्त की इच्छा एवं विश्वास को पूर्ण करने के लिये वह कहीं भी किसी भी समय प्रगट हो सकते हैं। आचार्य श्री ने कहा कि जीव को किसी की निन्दा स्तुति करने के बजाय भगवान की ही चर्चा करनी एवं सुननी चाहिये। प्रभु चरित्रों को श्रवण करने से भगवान का चिन्तन करने से की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि विशाल पेड़ जिस प्रकार छोटी सी कुल्हाड़ी से कट जाता है उसी प्रकार प्रभु के चरण कमल का स्मरण करने से जीव के सारे पाप कट जाते हैं इसके लिये उसे प्रभु की शरण में आना होगा। प्रभु की हर इच्छा, प्रत्येक लीला को प्रसन्नता से स्वीकार करने वाला ही सच्चा भक्त होता है। भक्त को अपने आदर सत्कार या सम्मान की कामना नहीं होती। वह तो हर कार्य प्रभु की सेवा समझकर करता है और ऐसी भावना को ही प्रभु स्वीकार करते हैं वह तो केवल भाव के भूखें हैं, क्योंकि परमात्मा न तो साकार है न निराकार है वो तो भक्त की इच्छा के अनुसार तदाकार हैं। जैसे भक्त चाहता है उसे उसी रूप में प्रभु प्राप्त होते हैं।इसीदिन साम को हिंडौला फलों की मनोरथ की झांकी की झांकी सजाई गई, जो भक्तों के बीच आकर्षण का केन्द्र रही। सोमवार को कथा प्रसंग के तहत नंदोत्सव मनाया जाएगा। इसीदिन साम 7 बजे से विवाह का मनोरथ की झांकी सजाई जाएगी। कार्यक्रम संयोजक नटवर गोपाल मालपानी ने बताया कि महोत्सव के तहत सुबह भक्ति भाव से वाणारसी, मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, सिरोंजी, जयपुर, बड़ौदा, जयपुर व सूरत से आए 131 वि़द्धानों ने श्रीमद भागवत के मूलपाठ किए। 28 जुलाई तक रोजाना सुबह 6 से 1 बजे तक सस्वर मूलपाठ व कथा रोजाना दोपहर 2 बजे से साम 7 बजे तक होगी। महोत्सव के तहत 30 जुलाई को 56 भोग, 31 जुलाई को मोती महल व मोती के महल का मनोरथ की झांकी सजाई जाएगी। समापन 1 अगस्त को कमल तलाई में छतरी का मनोरथ झांकी से होगा।

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