सुनिल चपलोत/चैन्नई। मनुष्य की वाणी में अमृत भी और जहर भी।शनिवार को साहूकार पेठ एस. एस. जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार मे महासाध्वी धर्मप्रभा ने कहा कि मनुष्य को सोच समझकर और विवेक के तराजू पर तोलकर बोलना चाहिए। मनुष्य की जिह्वा दो काम करती है बोलते समय इंसान मर्यादा नहीं रखे तो प्राणों पर संकट आ सकते है। जिह्वा से यश मान सम्मान प्राप्त होते है । मनुष्य मधुर वाणी बोले तो जगत को वश मे कर सकता है। कड़वे वचन बोलने मनुष्य पाप के बंध और मधुर वचनो से पुण्य का बंध कर सकता है। तलवार के घाव तो भरे जा सकते है लेकिन मनुष्य के मुख से निकले कड़वे शब्दों के घाव कभी नही भरने वाले। लोहे के कांटे.भी शरीर मे चुभ जाए तो कुछ समय तक ही व्यथा पहुंचाते है और कुशल व्यक्ति पुनः विशेष कठिनाई के बाहर निकाल देते है। किन्तु दूर वचनों के कांटे हृदय को इस तरह बींद देते हैं की उनका निकलना कठिन हो जाता है वे जन्म जन्म तक बेर की परंपरा को कायम रखते हैं साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्ययन सूत्र का वांचन करते हूए कहा कि मनुष्य के बोलने का लहजा ही उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है इंसान कितना भी सुंदर हो अगर ब़ोलने मे विवेक नही है तो उसकी सुंदरता का कौई काम की नही है।प्रेम के लिए वचन की मधुरता अनिवार्य है। वचन की मधुरता प्रेम का साम्राज्य स्थापित करती है तो वाणी की कड़वाहट शांत वातावरण में भी कड़वाहट घोल देती है। वचन के सामर्थ्य से अशांत वातावरण को भी शांत किया जा सकता है तो वचन के माध्यम से ही शांत वातावरण भी खौल उठता है। जिह्वा की मधुरता वाणी को आकर्षक बनाती है। ऐसे लोगों की वाणी में ऐसा आकर्षण उत्पन्न होता है कि सभी पर अपना जादू सा असर छोड़ती है। एक ही आवाज में हर व्यक्ति भीतर तक प्रभावित हो जाता है। हर व्यक्ति उसका प्रशंसक, अनुगामी और हितचिंतक बन जाता है। वाणी में ऐसी सामर्थ्य है कि वह पानी में आग लगा दे। वाणी एक ऐसा वशीकरण है जो लाखों को एक साथ जोड़ देती है तथा वाणी ही एक ऐसी शक्ति है जो लाखों को तोड़ भी देती है। एक आवाज पर लाखों का संहार हो जाता है तो एक आवाज पर लाखों के संहार को रोका भी जा सकता है। साहूकार पेठ एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी ने बताया कि धर्मसभा में अंजु भलगट, विमला सिंघवी, ममता भलगट आदि बहनों ने ग्यारह, दस और सात उपवास के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए उनका संघ के सज्जनराज सुराणा, हस्तीमल खटोड़, महावीर कोठारी, बादलचन्द कोठारी, जितेंद्र भंडारी, ज्ञानचन्द चौरडिय़ा भरत नाहर, तारेश बेताला आदि सभी तपस्वी बहनों का बहूमान करतें हूए अभिनन्दन किया।