Sunday, November 24, 2024

एक हजार मुनियों के आशीर्वाद से अधिक पॉवरफुल होता है पिता के द्वारा बेटे-बेटी के मस्तिष्क पर गंधोदक का हाथ: निर्यापक श्रमण श्री सुधासागर जी महाराज

विनोद छाबड़ा “मोनू”/आगरा। आज तक इतनी अच्छी जिंदगी जीने के बाद भी किस्मत क्यों साथ नही देती, अक्सर वही बात क्यों याद आती है जिन्हें हम याद नही करना चाहते। हमारा ही सगा मन हमारे अनुसार क्यों नही चलता। पराए हमारा कुछ नही बिगाड़ सकते, कोई अपना ही हमारे विरोध में जाता है,हम अपनो से लूट जाते है। लोग दुनिया को वश में करना चाहते है, पहले अपने मन को तो वश में कर ले। आंखे हमारी अपनी है लेकिन ये वो चीजे भी देख लेती है जिन्हें हम देखना नही चाहते।इसी तरह कान, नाक, मुख हर चीज में लगाना। जिस बेटे को माँ-बाप खुली छूट दे देते हैं समझ लेना उस वंश का नाश होना निश्चित है, कलंकित होना निश्चित है। जो बाप अपने बेटे का दुश्मन होगा तो बेटे को खुली छूट दे देगा। महानुभाव यदि तुम असली बाप हो तो बेटे को किमिच्छक छूट मत देना। मात्र तुम्हारा एकलौता बेटा है, हम उसका रोना नही देख सकते, वो जो खाने चाहे खायेगा बन्धुओ उसे किमिच्छ खाने की छूट मत देना नही तो एक दिन तुम्हे निपूती होना पड़ेगा। क्योंकि बेटा अपनी इच्छा से क्या क्या खायेगा। बेटा मिट्टी भी खा सकता है। मुनीम से हिसाब लो या न लो, पर बेटे से हिसाब जरूर लेना। मुनीम से हिसाब नही लोगे तो एक कम्पनी में दिवालिया होंगे लेकिन बेटे से हिसाब नही लिया तो पीढ़ी दर पीढ़ी दिवालिया होंगे। अच्छा पिता बेटों को पैसा देने से पहले पूछता है कि बता किस चीज के लिए चाहिए। पहले बजट पेश करवाओ, फिर हिसाब पेश करवाओ।जो बेटा का हिसाब लिए बिना सो जाता है वह बेटे को खो देता है। पहली बात जो बेटे-बेटी के आने के पहले ही पिता सो जाता है उसका बेटा भी खो जाता है।बेटे-बेटी को ये पता होना चाहिए कि जब तक हम नही पुहुचेगे नही तब तक मम्मी पापा सोएंगे नही। बेटा-बेटी जब तक कमरे में भी न सो जाएं तुम्हारी आंख में नींद नही आनी चाहिए। पहले देख लो बेटा सो गया क्या..!! जवान बेटे-बेटियों के बिगड़ने के कारण है पहले नियम होता था कि बच्चे और बच्चियां मम्मी पापा के साथ एक कमरे में सोते थे। 99% माता-पिता बच्चो से अलग सो रहे है।बिगड़ने के बाद पूछा बेटा क्यों बिगड़े आप? तो उन्होंने बताया कि मम्मी पापा सो गए कमरा बंद करके,हम लोग फ्री है।धीरे से खोला और खिसक गये,अब हम कुछ भी करे। इसलिए मैंने कहा कि माँ बाप मत बनना यदि तुम्हे मस्ती के भाव से जीना है तो। जब तक तुम्हे मौज मस्ती से जीना है जियो, माँ बाप मत बनो। माँ बाप बनने के बाद माता पिता बनकर के रहो, माता-पिता बनकर के बाजार में जाओ, माता-पिता की तुम्हारी ड्रेस हो, माता-पिता बनके सोओ, पति पत्नी बनके मत सोओ क्योंकि तुम बाप बन चुके हो, तुम माँ बन चुकी है। तुम्हारे साथ रात भर का सोना, वो ही है बेटा-बेटी की जिंदगी।पूरे शरीर मे सबसे ज्यादा एनर्जी निकलती है,दिन में शरीर मे एनर्जी संग्रह होती है।उस समय बेटे-बेटी तुम्हारे साथ सो रहे है उस समय वो तुम्हारे संस्कार ले रहे है। तुम जैसे हो,तुम्हारे बेटे-बिटिया भी वैसे ही बनेंगे। क्योंकि तुम्हारे साथ शयन कर रहे है। 70% बच्चे-बच्चियों के बिगड़ने के कारण है कि बच्चों के सोने का कमरा अलग है और मम्मी पापा के सोने का कमरा अलग। एक हजार मुनियों के आशीर्वाद से अधिक पॉवरफुल होता है पिता के द्वारा बेटे-बेटी के मस्तिष्क पर गंधोदक का हाथ। बस 8 साल लगाओ बेटे की पूरी जिंदगी मंगलमय हो जाएगी। जो माँ अपने बेटे की ओर पीठ करके सो रही हो समझना उसको अपने बेटे से प्यार नही है। जब तुम बेटे बेटियों के होते हुए वेशभूषा पर ध्यान नही रख रहे तो बेटे-बिटिया क्या ध्यान रखेगा तुम्हारा।वो भी खुले कपड़े पहनते है।बेशर्मपना कहा से शुरू हुआ है बेटे बेटियाँ पहले बेशर्म हुए है या दादा दादी, मम्मी पापा। मम्मी पापा, दादा दादी पहले बेशर्म हुए है। बस एक ही चीज देखना है मेरे इस कार्य का बेटे-बेटी से क्या सम्बन्ध है।तुम्हे जो कुछ भी करना है इसका मेरे बच्चो पर क्या प्रभाव पड़ेगा। जो तुम्हे करना है करो।और यदि बेटा तुम्हारे इस प्रभाव में आ गया तो क्या तुम्हें मंजूर है।तुम्हे रोना इसलिए पड़ रहा है क्योंकि तुम्हारी भूल है। निर्णय करो कि हम जीयेगे तो बेटे बेटियों के लिए जीयेगे।
संकलन-शुभम जैन ‘पृथ्वीपुर’

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