"हत्यारों को फांसी दो"
"जैन साधु संतों की रक्षा करो","तीर्थ क्षेत्रों की रक्षा करो" के नारे लगाए
मोहन सिंहल/टोंक। कर्नाटक मे जैन मुनि की हत्या के विरोध में सकल जैन समाज टोंक के बंद के आह्वान इसमें सर्व समाज एव श्री व्यापार महासंघ टोंक के बंद समर्थन मे सभी प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से बंद रहे एवं समाज के लोगों ने इस हत्या के विरोध मे राष्ट्रपति मुख्यमंत्री राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। समाज के प्रवक्ता पवन कंटान व कमल सर्राफ ने बताया कि इससे पूर्व सभी लोग श्री दिगंबर जैन नसिया एकत्रित हुए विरोध स्वरूप काली पट्टी बांध कर 11:30 मोन जुलुस के रूप मे हाथो मे तख्तियां लिए जुलुस रवाना हुया जो मुख्य बाजार बड़ा कुआ होते हुए घन्टाघर होते हुए कलेक्ट्री पहुंचे जहां पर नारे लगाए गए और समाज के लोगों द्वारा ज्ञापन सौंपा गया और ज्ञापन मे बेलगाम के चिक्कोड़ी के पास हिरेकोडी में जैन समाज के महान विद्वान तपस्वी गुरुदेव आचार्य श्री कामकुमार नंदी जी महाराज ने चिक्कोडी जिले के हीरे खोड़ी ग्रामीण क्षेत्र में एक गुरुकुल पाश्र्वनाथ जैन आश्रम की स्थापना की थी जिसके माध्यम से वे लगभग 15 सालों से शिक्षा का प्रसार कर ग्रामीणों के विकास एवं उत्थान का महान कार्य कर रहे थे। इस हेतु वह निकट के नंदी पर्वत आश्रम पर निवास भी कर रहे थे। 6-7 जुलाई को कुछ शैतानों ने जबरन आश्रम में घुसकर उनसे मारपीट की. करेंट लगाकर भीषण यातनाएं दी और फिर क्रूरतापूर्वक उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर बर्बरता की सारी सीमाएं लांघ दीं। स्वतंत्र भारत के इस सबसे जघन्य हत्याकांड ने कर्नाटक के गौरवशाली इतिहास पर एक काला धब्बा लगा दिया है। संपूर्ण विश्व का जैन समाज इस अविश्वसनीय बर्बर घटना से बेहद दुखी होकर सदमे में है और आक्रोशित भी है कि कैसे अपने पूज्य साधुओं की सुरक्षा कर सकें? इस हत्या को अंजाम देने वाले 2 गुनाहगारों को पुलिस ने पकड़ लिया है। पूरे देश का जैन समाज आपसे निवेदन करता है कि उन दोनों एवं उनसे जुड़े सभी गुनाहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये। साथ ही जैन साधू संतों की सुरक्षा पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह निर्माण हो रहा है। लगातार होने वाली घटना को देखते हुए लगता है कि जैन समाज के साधू-साध्वी सुरक्षित नहीं है। देश-प्रदेश में अनेक जगह पर विराजित सभी जैन साधुओं को सुरक्षा हेतु ठोस कदम उठाये जाये। इस मौके पर टोंक जिला प्रमुख सरोज नरेश बंसल , श्याम लाल फुलेता, नरेश बंसल, पारस कुरेड़ा, बीना छामुनिया, राजेश सर्राफ, मनीष बंसल, देवराज काला, रमेश काला, एस एम सिंहल, सुरेंद्र एडवोकेट, नवीन अलीगढ़, निर्मल छामुनिया, अशोक छापड़ा, चेतन गोटा, कुशल दासोत, भगवान भंडारी, अंकुर पाटनी, सहित हजारों की संख्या मे पुरुष व महिलाएं थीं।