नौका विहार जल केली की मनोरथ की रोचक झांकी सजाई
जयपुर। अधिक मास के अवसर पर श्री वल्लभ पुष्टिमार्गीय मंदिर प्रबंध समिति व श्री पुष्टिमार्गोय वैष्णव मंडल,जयपुर के बैनर तले मोहनबाड़ी स्थित श्री गोवर्धननाथ जी मंदिर में श्री गोवर्धन नाथ जी प्रभु व मथुराधीश स्वामी प्रभु के मनोरथों के दर्शन व 56 भोग महामहोत्सव के तहत आयोजित श्रीमद भागवत कथा में गुरुवार को बड़ोदरा निवासी श्रीगिरिराज शास्त्री ने व्यास पाठ से कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का प्रत्येक प्रसंग हमें मानवता की शिक्षा प्रदान करता है। हमारा जीवन किस मार्ग से चले कि उसे लक्ष्य की प्रप्ति हो। उन्होंने आगे कहा कि श्री मद भागवत कथा मानव को मानवता ही नहीं बल्कि मानवता के साथ-साथ वैष्णवता और भगवत्ता की शिक्षा देकर इनका पात्र भी बनाती है जीव को।
महापुराण का प्रारंभ करते हुए उन्होंने बताया कि माहात्य के प्रारंभ में ही श्री सूत महाराज ने श्री शुकदेव जी की वन्दना करते हुए लिखा है कि श्री शुकदेव जी ने जन्म लेते ही घर से वन की राह पकड़ ली और वन में जाकर भगवान की आराधना में लीन हो गए ऐसी आराधना भगवान की किया की भागवत और भगवान दोनों प्राप्त हो।
उन्होने कहा धर्म जगत में जितने भी योग, यज्ञ, तप, अनुष्ठान आदि किये जाते है उन सब का एक ही लक्ष्य होता है कि हमारी भक्ति भगवान में लगी रहे मैं अहर्निश प्रतिक्षण प्रभु प्रेम में ही समाया रहूं। संसार के प्रत्येक कण में हमें मात्र अपने प्रभु का ही दर्शन हो। श्रीमद्भागवत् कथा श्रवण मात्र से भक्त के हृदय में ऐसी भावनाएं समाहित हो जाते हैं और मन, वाणी और कर्म से प्रभु में लीन हो जाता है। महोत्सव के तहत नौका विहार जल केली की मनोरथ की रोचक झांकी सजाई गई,जो भक्तों के बीच आकर्षण का केन्द्र रही।
संयोजक नटवर गोपाल मालपानी ने बताया कि सुबह कार्यक्रम स्थल पर वाणारसी, मथुरा, वृंदावन,गोवर्धन,गोकुल,सिरोंजी,जयपुर,बड़ौदा,जयपुर व सूरत से आए 131 वि़द्धानों ने श्रीमद भागवत के मूलपाठ किए। 28 जुलाई तक रोजाना सुबह 6 से 1 बजे तक सस्वर मूलपाठ व कथा रोजाना दोपहर 2 बजे से साम 7 बजे तक होगी। महोत्सव के तहत 30 जुलाई को 56 भोग,31 जुलाई को मोती महल व मोती के महल का मनोरथ की झांकी सजाई जाएगी। समापन 1 अगस्त को कमल तलाई में छतरी का मनोरथ झांकी से होगा।