राजेश जैन दद्दू/इंदौर। राष्ट्रसंत आचार्य श्री विहर्षसागरजी महाराज ने मोदी जी की नसिया में बुधवार को सम्यक दर्शन पर प्रवचन देते हुए कहा कि सम्यक दृष्टि और मिथ्या दृष्टि दो प्रकार के लोग होते हैं। सम्यक दृष्टि जीव देव शास्त्र गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखते हुए शंका नहीं करता, साधु साधु में भेद नहीं करता। उसका उठना, बैठना, खाना-पीना, बोलना, देव दर्शन करना सब आगम के अनुसार होता है, जबकि मिथ्या दृष्टि मनमर्जी करते हुए घर परिवार समाज एवं धर्म क्षेत्र में अपने मन के अनुसार आचरण करता है।वह जैन होकर भी जैनत्व के संस्कारों से विहींन होता है। आज मनुष्य के जीवन में जितनी भी बुराइयां हैं वह सब मिथ्यात्व के कारण हो रही हैं। आचार्य श्री ने आगे कहा कि देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्धान रखो। भगवान व्यापारी नहीं है जब भी मंदिर में उनके दर्शन को जाओ तो उनसे कुछ मांगों मत मांगना ही है तो आशीर्वाद मांगते हुए यह भावना भाओ कि हे प्रभु आप तो केवल ज्ञानी और सिद्ध स्वरूपीं मुक्ति पथ के नेता हैं मैं आपके चरणों में इसलिए आया हूं कि आप मेरा मुझसे मिलन करा दें, ताकि आपका स्मरण करते हुए और जिनवाणी सुनते हुए मेरी समाधि निर्विघ्न हो जाए। धर्म सभा में मुनि श्री विजयेशसागर जी महाराज ने कहा कि जिन भगवान महावीर के शासन में हम सब विराजमान हैं उन्होंने सबसे पहले अहिंसा के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। अहिंसा जैन धर्म की आधारशिला है। जैन महावीर के वंशज कहलाते हैं सच्चा जैन श्रावक वह है जो श्रावक के लिए आवश्यक अष्ट मूल गुणों का पालन करता है, पानी छानकर पीता है रात्रि मैं भोजन नहीं करता और व्यापार-व्यवसाय एवं अपने दैनिक जीवन, व्यवहार, खानपान में अहिंसा धर्म का पालन करता है। प्रारंभ में मंगलाचरण पंडित रमेश चंद बांझल ने किया। दीप प्रज्वलन योगेन्द्र काला राजेंद्र सोनी, रमेशचंद जैन एमपीईबी निर्मल अग्रवाल एवं श्रीमती सोनाली बागड़िया ने किया। आचार्य श्री को श्रीफल समर्पित कर श्री रितेश पाटनी, डी एल जैन राजेश जैन दद्दू पूर्व पार्षद पवन जैन और श्रीमती मुक्ता जैन ने आशीर्वाद प्राप्त किया। धर्म सभा का संचालन श्री कमल काला ने किया।