Sunday, November 24, 2024

मनुष्य माया से दूर होने पर अपनी आत्मा को मोक्षगामी बना सकता है: साध्वी धर्मप्रभा

सुनिल चपलोत/चैन्नई। माया से दूर रहने पर आत्मा मोक्षगामी बन सकती है। मंगलवार साहूकार पेठ के मरूधर केसरी दरबार मे विशाल धर्मसभा में साध्वी धर्मप्रभा ने श्रध्दालूओं को संबोधित करते हुए कहा कि संसार का दूसरा नाम ही माया है। वस्तुत: यह माया इस जीव को हर रोज नाच- नचाती है, और मानव आत्मबोध की ओर जाता नहीं, हमेशा क्षणभंगुर संसार में माया के रत मे लगा रहता हैं। जब तक मनुष्य माया मे लगा रहेगा तो संसार मे अनंत बार माँ कि गृभ में आयेगा। मनुष्य छल- कपट और रिश्वत देकर दूसरों कि नजरों मे धूल झोंक सकता है, लेकिन परमात्मा की नजरों मे नही, इस संसार मे कौनसा प्राणी क्या कर रहा,यह सब ईश्वर जानता है। मनुष्य भगवान को धोका नही दे सकता है। क्योंकि ईश्वर कि एक नही लाखों आंखें है। भगवान के दरबार में सबका खाता है। मनुष्य ने माया का विर्जन कर दिया तो निग्रंथ बन सकता है। माया व्यापक अविद्या है, जिसमें सभी जीव फंसे हुए हैं। माया वो छलावा जो मनुष्य को परमात्मा से दूर करती है,और आत्मा को मोक्ष मे जाने से रोकती है। साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्ययन सूत्र के चतुर्थ अध्ययन कि गाथा का वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य की आत्मा का घर मोक्ष है,माया नही है। मनुष्य कितना भी जप तप करलें, लेकिन जब तक माया के पीछे मनापड़ा रहेगा तब तक इस संसार से आत्मा को मुक्ति नही दिला सकता है। मनुष्य इस सत्य से वाकिफ है,की माया उसके साथ नही जाने वाली है। फिर भी मनुष्य माया को अपना समझ रहा है। छल, कपट औंर धोके से माया को प्राप्त करने वाला मनुष्य गंगा मे कितनी भी बार डुबकी लगा ले, परन्तु आत्मा शुध्द औंर पवित्र नही हो सकती है। मनुष्य के नियत में खोट नही होगी तो घर ही परमात्मा के दर्शन हो जाएंगे। एस.एस.जैन संघ साहूकार पेठ के महामंत्री सज्जनराज सुराणा ने बताया कि धर्मसभा मे तपस्वी बहन प्रियंका अभिषेक चौरड़िया ने साध्वी धर्मप्रभा से नौ उपवास के प्रत्याख्यान लिए जिसका एस.एस.जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीरचन्द सिसोदिया सुरेश डूगरवाल, पदम ललवाणी, महावीरचन्द कोठारी, हस्तीमल खटोड़, जितेंद्र भंडारी, भरत नाहर आदि पदाधिकारियों ने तपस्वी बहन और चैन्नई के उपनगरों से पधारे पूरणमल कोठारी, प्रसन्न दुग्गड़, इन्द्रचन्द लोढ़ा, राजमल सिसोदिया, महेश भंसाली, एम.अशोक कोठारी आदि सभी अतिथीयो का शोल माला पहनाकर स्वागत किया गया।

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