आचार्य श्री काम कुमार जी नंदी महाराज जी की कर्नाटक में जघन्य हत्या पर वेदना
महाविभूति, विज्ञ, तपस्वी, सन्मति, सुख देने वाले.
परोपकारी, श्रेष्ठ विश्व में, यश, शांति निधि देने वाले.
जिनकी रक्षा, सेवा करना,ही कर्तव्य तुम्हारा है,
उनकी नृशंश हत्या करदी,
कुकृत्य, दुष्कर्म तुम्हारा है.
वस्त्र, वाहन त्याग दिये हैं,
केशलॉन्च जो करते हैं,
कर अंजुली में भोजन लेते,
साधना रत नित रहते हैं
चप्पल, जूते नहीं पहिनते,
तेल, इत्र प्रयोग नहीं,
लकड़ी पट्टा जिनका बिस्तर,
ए. सी., पंखा न लगा कभी
ऐसी वंदनीय विभूति,
ईश्वर ही कहलाती है.
अंग भंग कर प्राण हर लिए,
क्रूरता अति दिखलायी है.
जिनके आगे सिंह, व्याघ्र भी,
नत मस्तक हो जाते हैं.
सारे कष्ट सभी के हरते,
करुणा, दया दिखाते हैं
परम दायलू और कृपालू,
जग, जन हित जो नित करते.
कष्ट वेदना हरते जग की, सुखमय जग जीवन करते.
ऐसे दिव्य देव पुरुष को, पापी तुमने मार दिया?
घोंट गला विश्वास नेह का,
अति निंदनीय दुष्कर्म किया.
श्री मानतुंग, सुकमाल मुनि ने,
मर्मान्तक उपसर्ग सहे,
शांत भाव से सही वेदना,
करुणा सागर बने रहे.
कष्ट वेदना देने वाले,
युगों युगों तक नर्क रहे.
पापी, कपटी, क्रूर निर्दयी,
क्यों जघन्य दुष्कर्म किये?
शांत भाव से देह त्याग कर, स्वर्ग शिला वे जायेंगे,
आस्तीन के साँप बने जो,
भीषण वेदना पायेंगे.
शासन से माँग व संकल्प
साक्षात् प्रभु आज धरा पर,
इनकी रक्षा का प्रण लो.
जहाँ जहाँ भी दिव्य संत हैं,
इनको नित संरक्षण दो.
इनकी कृपाकोर से ही,
यश, सुख, शांति आएगी,
गगन-धरा में युगों युगों तक,
यशगाथा जाएगी.
आओ प्रण लें रक्षा इनकी,
तन, मन, धन से करना है,
सब कुछ देने वाले ये हैं,
सब कुछ अर्पित करना है.
इंजिनियर अरुण कुमार जैन
अमृता हॉस्पिटल फरीदाबाद, भोपाल
7999469175