Saturday, September 21, 2024

त्रि-दिवसीय महोत्सव के अन्तिम दिन मूलनायक के हुए अभिषेक तथा वार्षिक शान्तिधारा व पूजन

गाजे बाजे व जयकारों के साथ निकली भव्य शोभा यात्रा व हुआ वार्षिक ध्वजा रोहण

दिगम्बर साधु नहीं रहेंगे तो दिगम्बर धर्म कहाँ से रह पायेगा: आर्यिका विशेष मति माताजी

जयपुर। जनकपुरी-ज्योतिनगर जैन मंदिर के त्रि- दिवसीय वार्षिक उत्सव के अन्तिम दिन मूल नायक नेमिनाथ के अभिषेक व वार्षिक शांतिधारा, ध्वजा रोहण शोभा यात्रा, पूजन सहित कई धार्मिक कार्यक्रम आर्यिका विशेष मति माताजी के सानिध्य में अति उत्साह व भक्ति के साथ हुए।
प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला ने बताया की तीन वेदियों पर प्रथम अभिषेक अरविंद बेला साख़ूनिया, महावीर पाटनी व चंद्र प्रभा शाह परिवार ने किए। विश्व शांति के लिए बीजाक्षर युक्त वृहत वार्षिक शांतिधारा का सोभाग्य शिखर चंद किरण जैन परिवार को मिला वही ध्वजा रोहण व झण्डा रोहण का सोभाग्य केसर देवी नवीन राकेश मित्रपुरा वालों को मिला।
इसके पूर्व सुहाने मौसम में इंद्रदेवता द्वारा किए जा रहे स्वागत के मध्य गाजे बाजे के साथ घोड़ी पर जैन ध्वज के पीछे पुरुष व महिलाओं की लम्बी लाइन के साथ धर्म प्रभावना करते हुए आदिनाथ चैत्यालय ज्योतिनगर से नेमि नाथ की शोभा यात्रा जनकपुरी मन्दिर जी पहुँची जहाँ मन्दिर द्वार पर भक्ति में नाचते गाते महिलाओं ने जुलूस का स्वागत किया। सभी ने मन्दिर जी में भक्ति में सरोबार होकर नेमिनाथ की अष्ट द्रव्य के साथ पूजन की।
पूजन में कमल बाबू जैन, मनीष बैद, अनिल जैन आईपीएस, भागचंद मित्रपुरा, सुनील बज, सुनील पहाड़िया, पंकज लुहाड़िया, कैलाश छाबड़ा, राजा बाबू गोधा, हर्षित जैन, मुकेश पण्ड्या, सुरेश बज, जितेंद्र जैन, एन के सेठी कमल जैन आदि ने सहभागिता की तथा आर्यिका को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया तथा 44 वें स्थापना दिवस पर 44 दीपक से समाज के साथ नेमिनाथ की आरती की।
धर्म चंद पहाड़िया, नरेंद्र जैन निखार वाले, ओम प्रकाश काला मामाजी, मुकेश जैन, राकेश गोदिका, समता गोदिका, राजेंद्र बिलाला, नरेंद्र जैन, निर्मल सांघी, बी वी जैन सहित आसपास के मंदिरो व कस्बों से श्रावकों की कार्यक्रमों में बराबर उपस्थिति रही।
पदम जैन बिलाला के अनुसार गणिनी आर्यिका विशुद्ध मति माताजी की चातुर्मास रत शिष्या विशेष मति माताजी ने अपने प्रवचन में कहा की भगवान महावीर ने जिओ और जीने दो का उपदेश दिया जिसका अर्थ है स्वयं भी जिओ और दूसरे को भी जीने दो। अहिंसा का अर्थ कायरता नहीं होता है। माताजी ने आगे कहा की हमारे साधु दिगम्बर है इसलिए ही हम दिगंबर जैन कहलाये। दिगम्बर सन्त नहीं रहेंगे तो दिगंबर धर्म कहाँ से रह पायेंगा। धर्म की रक्षा के लिए माताजी ने आह्वान किया की अब समय आ गया है, जागो जैन जागो, समाज को धर्म व सन्त की रक्षा के लिए जागना ही होगा। कार्यक्रम में प्रबंध समिति महिला मण्डल युवा मंच व पाठशाला के संयोजकों का बराबर सहयोग रहा।

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