अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
राजेश रागी/रत्नेश जैन/श्रेयांसगिरि (पन्ना)। सलेहा के समीपस्थ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्रेयांसगिरि मे वर्ष 2023 का वर्षायोग कर रहे परम पूज्य भारत गौरव, राष्ट्रसंत, गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज के सानिध्य मे श्रमणी आर्यिका विमोहिता श्री माताजी की सल्लेखना समाधि 17 जुलाई दोपहर 1:08 बजे पूज्य गुरुदेव के श्री मुख से णमोकार महामंत्र सुनते हुए निर्विघ्न संपन्न हुई। भरत सेठ ने बताया कि दोपहर 2:00 बजे गाजे बाजे के साथ अंतिम संस्कार हेतु ढोला निकाला गया, जिसमें संपूर्ण श्रेयांसगिरि अंचल सहित जैन, जैनेत्तर समाज ने शामिल होकर पुण्यार्जन किया। जैन धर्म की अनूठी क्रिया सल्लेखना समाधि में माताजी की देह का अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ी घी, कपूर एवं हजारों श्रीफल से किया गया। ब्रह्मचारिणी क्रांति जैन निवासी सागर ने पूज्य गुरुदेव से 2002 में 2 प्रतिमा तथा 2023 में सात प्रतिमा के व्रत ग्रहण किए, ढाई माह पूर्व गम्भीर बीमारी से ग्रसित होने पर आपने स्वयं भावना व्यक्त की थी कि मुझे गणाचार्य श्री के पास समाधि के लिए ले चलो। उनकी भावना अनुसार 9 जुलाई को परिवारजन उन्हें पूज्य गणाचार्य श्री के पास लाए तथा उनकी स्थिति गंभीर देख गुरुदेव ने उन्हें 10 जुलाई को छुल्लिका दीक्षा, 14 जुलाई को आर्यिका दीक्षा एवं चारों प्रकार के आहार का त्याग कराया 17 जुलाई को दोपहर 1:08 बजे सहस्त्रों श्रद्धालुओं के मध्य गुरुमुख से णमोकार महामंत्र श्रमण करते हुए क्षमता के साथ माताजी ने नश्वर देह का विसर्जन कर स्वर्ग की ओर प्रयाण किया। इस पावन अवसर पर गुरुवर ने कहा की माताजी का परम पुण्य था जो उन्हें समाधि मरण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इसलिए विमोहिता श्री भी बीरो से कम न थी जिन्होंने मरण को समाधि मरण बनाकर जन जन के लिए ऐसा ही वीर मरण करने की मौन प्रेरणा प्रदान की।
राजेश रागी वरिष्ठ पत्रकार बकस्वाहा