Monday, November 25, 2024

उपादान और निमित्त ही धर्म की रीढ़ की हड्डी है: आचार्य विहर्ष सागर जी महाराज

राजेश जैन दद्दू/इंदौर। उपादान को निमित्त चाहिए। उपादान याने आपकी स्वयं की इच्छा शक्ति और निमित्त याने बाहर की शक्ति। उपादान और निमित्त ही धर्म की रीढ़ की हड्डी है। चातुर्मास में संत तुम्हारे उपादान को चोट करते हैं गुरु देव कहते हैं कि हे पगले कहां दुनिया में फंसा है? सभी के पास आत्मा भी है और उपादान भी है। व्यक्ति में कलेक्टर, डाक्टर एसपी वकील बनने की शक्ति है। और भगवान बनने की शक्ति भी है। अपनी क्षमता का आकलन कर पहचानों, उसी का नाम धर्म है। मुख्य लक्ष्य है, आत्मा को परमात्मा बनाना। परिवार जन को कभी भी अपना मत मानो। आचार्य श्री कहते हैं यदि मैं प्रोफेसर सब इंजीनियर या कोई बड़ा अधिकारी बनता तो मुझे शहर के कुछ चुनिंदा लोग; ही पहचानते मैं आचार्य बन गया तो पूरा देश मुझे पहचान ता है और यदि में भगवान बन गया तो तीन लोक में सभी मुझे पहचानेंगे। श्रावकों आपको भी मनुष्य पर्याय मिली है, इस पर्याय में ऐसा कुछ काम कर लो कि फिर इस पर्याय में वापस ना आना पड़े। फेडरेशन के मिडिया प्रभारी राजेश जैन दद्दू ने बताया कि आज दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के अध्यक्ष राजकुमार जी पाटोदी, दिलीप पाटनी जी के साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय जी भी आचार्य श्री जी के दर्शन और आशीर्वाद लेने पधारे। आज़ मुनि श्री विश्व हर्ष सागर जी महाराज जी ने केश लोचन किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगलाचरण पंडित रमेश चंद जी बांझल ने किया। इस अवसर पर समाज श्रेष्ठी श्री पवन बड़जात्या, ऋषभ पाटनी, सतीश जैन, नीरज मोदी, रितेश पाटनी, राजेश गंगवाल सहित सैकड़ों की संख्या में समाजजन उपस्थित थे। धर्म सभा का संचालन कमल काला ने किया एवं आभार पारस पांड्या ने माना।

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