जगत कल्याण की कामना के लिए कराई शान्ति धारा, दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी ने किए श्री फल भेंट
आगरा। संसार का सबसे बड़ा पापी कौन है सबसे बड़ा पापी वह व्यक्ति है जो पाप कर नहीं पा रहा है लेकिन भाव रख रहा है । मै सारी दुनिया को मिटा कर रख दूंगा एक व्यक्ति को मार नहीं पा रहा लेकिन दुनिया को मिटा देना संसार को तहस-नहस कर देने का विचार निरंतर करता रहता है। सबसे बड़े पापी वह है जो पाप करने का भाव करते हैं दूसरों को मारने का भाव करते रहते मन्दिर जाने सत्संग ना करने का भाव हो रहा है ऐसे व्यक्ति को तुरंत सचेत हो जाना चाहिए नहीं तो वह दुर्गति की ओर आप बड रहें हैं हमें मन से भी दुसरे का वुरा नहीं विचार ना यदि तुम्हारी जिंदगी में कभी कर्म बंध सुधरने का भाव आये तो सबसे पहले वो पाप छोड़ना चाहिए जिसे आप कर ही नहीं पा रहे। हम जिस समय जो सोचे वह सब कुछ होना चाहिए जब जब आपके मन में ये भाव आये कि मैं जो जो सोचूं वह हो तो समझ लेना कि आपका डाउन फाल शुरू हो गया है । 99 परसेंट लोगों का पतन उन्ही का होता है जो पुण्य के उदय में धर्म करने का भाव नहीं हो रहा उक्त आश्य के उद्गार हरि पर्वत आगरा में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ने व्यक्त किए।
सम्यक वर्धिनी क्रिया का लाभ प्राप्त किया
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी के वर्षो से हम आपके सानिध्य की कोशिश कर रहे हैं आपका पदार्पण हो इस हेतु श्रमण मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ससंघ के चरणों में दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी ने श्री फल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया । इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल, उपाध्यक्ष राकेश अमरोद, महामंत्री विपिन सिंघाई, मंत्री विनोद मोदी, प्रचार मंत्री विजय धुर्रा, आडिटर राजीव चन्देरी, रिक्कू ओडेर, पूर्व अध्यक्ष सुमत अखाई सहित अन्य भक्तों ने आशीर्वाद प्राप्त किया।
इसके पहले आज सुबह परम पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज के सान्निध्य में जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्ति धारा हुई जिसका सौभाग्य कमल नयन शाह भीलवाड़ा, सचिन सुखपाल सिंह दिल्ली, महेंद्र जैन रेवाड़ी, सुभाष जैन भीलवाड़ा,सुमन दगड़ व्यावर, राकेश अमरोद विनोद मोदी सहित अन्य भक्तों ने किया। इस दौरान सम्यक लाभ वर्धिनी क्रिया का सभी का लाभ प्राप्त किया।
कोई अभिषाप दे सकता है तो हम हटा भी सकते हैं
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के गुना के निकट बजरंगड़ तीर्थ की घटना है चारसौ साल पहले कुएं पर पनिहारी पानी भर रही थी वहां एक बाबाजी उस पनीहारन से पानी पिलाने का कहते हैं तो मना कर देती है तब उन बाबा जी ने तभी श्राप दिया तबसे वहां पानी नहीं निकला, मैंने कहा कि एक साधु रोक सकता है तो एक वापस ला भी सकता है आज बजरंगड़ तीर्थ से पूरा एरिया पानी पी रहा है। कभी तुम्हारे लिए लगे कि मुझे किसी का अभिषप लगने लगें तो अपने इष्ट को याद कर लेना कहीं किसी को अगरबत्ती लगाने का मन हो रहा है ऐसा क्यों हो रहा है यही है छयोपसम लव्धी आपके मन में ये विकल्प आ जायें समझ लेना कि आपके साथ दर्शन मोहनी खेल खेल रहा है जिनके कुल में मुनि राज हुए यहां तक कि तीर्थकर के कुल में पैदा हुआ व्यक्ति को भी कर्म नहीं छोड़ता उनके दर्शन मोहनी उन्हें भी धर्म से दूर कर देता है।