Monday, November 25, 2024

नेट थिएट रंग संस्कृति के 3 वर्ष, कत्थक और लोक नृत्य हुआ साकार

जयपुर। नेट थिएट कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज कथक गुरु श्वेता गर्ग के निर्देशन में उनकी शिष्याओं द्वारा जयपुर कत्थक और लोक नृत्यों ने ऐसी छटा बिखेरी कि बादलों की गर्जना के साथ संस्कृति की फुहारों ने ऐसा सराबोर किया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। नेट थिएट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि कथक नृत्यांगना तनिष्का मुद्गल ने कार्यक्रम की शुरुआत शिव श्लोक “आंगिकम् भुवनम् यस्य वाचिकम्” से की। इसके बाद जयपुर का शुद्ध कथक में 16 मात्रा, थाट, आमद,तिस्र जाति, परन,चक्रधार तोड़ा, कवित्त की लडी से कथक को साकार किया और अंत में भाव ठुमरी “छाड़ो छेड़ो ना कन्हाई, रे काहे को रोको गैरवा”, में लयकारी ताल एवं भाव की स्पष्ट झलक देखने को मिली। कार्यक्रम में पूर्णिमा दायलानी, रक्षिता शेखावत, किया तिवारी और तनिष्का मुद्गल ने राजस्थान का सुप्रसिद्ध नृत्य मंजीरा “रुण झुण बाजे घुघरा घोड़े रा बाजे पोड जी” की प्रस्तुति से राजस्थानी संस्कृति की ऐसी छटा बिखेरी कि राजस्थान की माटी की महक खिल उठी। नेट थिएट के मनोज स्वामी ने बताया कि नेट थिएट रंग संस्कृति के तीन वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इस मंच पर 150 से अधिक कार्यक्रमों के माध्यम से 750 से अधिक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से नेट थिएट को देश दुनिया में अलग पहचान दिलाई। इस मंच पर नृत्य, संगीत, नाटक,कव्वाली, ग़ज़ल,कवि सम्मेलन, मुशायरा,चित्रकला आदि के कार्यक्रम आयोजित हुए हैं। कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध उद्घोषक आर.डी.अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम संयोजक गुलज़ार हुसैन,कैमरा और लाईट मनोज स्वामी, संगीत तपेश शर्मा, मंच व्यवस्था अर्जुन देव, अंकित शर्मा नोनू एवं जीवितेश शर्मा की रही।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article