आगरा। निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव 108 श्री सुधासागर महाराज ने प्रवचन मे कहा की भगवान, गुरू को रथ का सारथी मत बनाना हमें गुरु भगवान का सारथी बनना हैं। उन्होंने बेटा बेटी के प्रति बताया कि यदि घर के माता पिता परिवार की अनुपस्थिति में बेटा बेटी खुश हो रहे हैं कि दोस्तों से कहते हो आ जाओ घर पर मस्ती कर लेते हैं, घर पर कोई नहीं है। तो समझ लेना बुरा वक्त आने वाला है। महाराज श्री ने कहा कि अपने बड़े जब बुरे लगने लगे तब विनाश होने वाला है। आगे कहा कि यदि माता-पिता की उपस्थिति खुशी का कारण लगे, और अनुपस्थिति दुख का कारण लगे तो माता पिता कि उपस्थिति खुशी का कारण है अनुपस्थिति दुख का कारण है। इस पर कहा कि यदि आपको माता-पिता की उपस्थिति खुशी का कारण लगती है तो वह सुख का कारण बनती हैआपके विकास में सहायक है। यदि उनकी उपस्थिति में आप दुखी हो रहे हैं तो यह विनाश का कारण है। जब हमारे दुख आता तो हमे भगवान गुरू बचायेंगे, यदि हमने सुख के दिनो में भगवान, गुरु को याद करते तो हमारे दुख नहीं आएगा, हमें भगवान, गुरू की रक्षा करना है। आगे कहा कि बड़े जब छोटे से सेवा कराते है तो कांटा हटाते है। और छोटे को पुण्य लगेगा, संकट दूर होंगे पुण्य बढ़ेगा और बड़े की सेवा भी हो जाएगी। मन मुताबिक जो कार्य करना चाहता है उसके लिए प्रकृति में सब व्यवस्था दी है जो जीना चाहता है उसको जीने के लिए दिया, मरने वालों के लिए जहर भी दिया, मैं चाहु तो जो कुछ भी करू लेकिन मुझ पर कोई आरोप नहीं लगना चाहिये में कुछ भी चाऊ में करू, में जब जो चाहु करू मुझ पर कोई आरोप नही हो लगना चाहिए,हम जो कुछ भी गलत कार्य किसी के साथ करेगे तो हमे संसार का सबसे निकृष्ट आदमी बनना पड़ेगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी