Sunday, November 24, 2024

सात्विक ऊर्जा का केंद्र है भगवान् नेमिनाथ का जनकपुरी स्थित जैन मंदिर

जनकपुरी-ज्योतिनगर, जैन मंदिर – मूलनायक नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा, स्वर्ण आभामय सहस्रकूट जिनालय और कुण्डलपुर वाले बाबा की प्रतिकृति युक्त ध्यान केंद्र के लिए पूरे प्रदेश में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। इस मंदिर की नीवं श्रेष्ठी जनो द्वारा 14 दिसम्बर 1978 को लगी थी और 17 जुलाई 1980 को मंदिर जी में विधि विधान के साथ मूलनायक भगवान को स्थापित किया गया था। जयपुर के जनकपुरी-ज्योतिनगर में स्थित इस मंदिर में मूलनायक वेदी के साथ महावीर भगवान की वेदी, पार्श्वनाथ भगवान की वेदी और जिनवानी वेदी के अलावा द्वार के दोनों और क्षेत्रपाल और पद्मावती की वेदियाँ भी हैं। मंदिर का स्वरुप अब बहुत विशाल हो गया है। मंदिर के पास छोटा सन्त भवन, सामने चार मंजिला संयम भवन और अतुलनीय स्तुपाकार सहस्रकूट जिनालय के अलावा बड़े बाबा की प्रतिकृति युक्त भव्य ध्यान केंद्र स्थित हैं। मंदिर के विशाल गुम्बज में चार खड़गासन प्रतिमाएं और मंदिर के सामने क़रीब 360 गज ज़मीन विभिन्न कार्यो और समारोह में काम आ रही है।

इस मंदिर में पूजा ध्यान स्वाध्याय पाठशाला और संस्कारो का उत्कर्ष देखा जा सकता है। प्रथम संत की बात करे तो आचार्य देशभूषण जी के शिष्य मुनि धवल सागर जी के मंदिर जी में चरण पड़ने के साथ ही अब तक छ बड़े चातुर्मास सम्पन हो चुके है साथ ही जयपुर में आए प्रत्येक साधु सन्त को जनकपुरी प्रवास हेतु निवेदन कर आशीर्वाद प्राप्त करने का भाव समाज का रहता है ।

जयपुर में रहने वाले और आने वाला हर भक्त, श्रद्धालु, भगवान नेमिनाथ के इस अतिशयकारी मंदिर के दर्शन करने का इच्छुक होता हैं, श्रद्धालु को शुभता और आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही मन में शांति, स्थिरता और अनिर्वचनीय आध्यात्मिक अनुभव को प्राप्त करता है।

17 जुलाई को 22 वें तीर्थंकर नेमिनाथ के इस मंदिर का 44वाँ स्थापना दिवस है हम सभी के लिए बहुत ही आनंदमय और पुण्यकारी दिन है. हम एकसाथ आत्मीयता, श्रद्धा, और आदर्शों का आनंद लेते हैं। हम अपनी आत्मा को शुद्ध करके, सात्विक विचारों को बढ़ावा देते हैं हम मंदिर के साथ अपने गहरे जुड़ाव को फिर से मजबूत करने का संकल्प लेते है। प्रेम और समर्पण के माध्यम से समाज के प्रति अपने योगदान को सुनिश्चित करते है । यह मंदिर सामजिक समरसता का पावन धाम है निश्चित रूप से यह तीर्थंकर नेमिनाथ का मंदिर भगवान के दिव्य स्वरुप और सात्विक ऊर्जा का केंद्र हैं।
स्थापना दिवस पर आर्यिका विशेषमति माताजी के सानिध्य में समाज द्वारा 15,16,17 जुलाई को त्री दिवसीय महोत्सव अत्यंत उत्साह व भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा जिसमे अभिषेक शान्तिधारा विधान पूजन दीप अर्चना शोभायात्रा ध्वजा रोहण सहित कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे ।
आलेख
पदम जैन बिलाला
राकेश जैन (आकाशवाणी )

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