Monday, November 25, 2024

चिंता चिता के समान है ये जीव शहित शरीर को जलाती हैं: आचार्य श्री आर्जाव सागर जी

अशोक नगर। चिंता चिता के समान है ये जीव समेत शरीर को जला देती है हमे बे अर्थ की चिंताओ से बचना चाहिए आज घन की सुरक्षा को लेकर व्यक्ति ज्यादा चिंतित हैं एक समय वह था जब घरों में ताला नहीं लगते थे ये वह समय था जब इस देश के शासक सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य उनके गुरु चाणक्य अपना काम करते समय सरकारी तेल से जलनें वाले दीप का भी प्रयोग नहीं करते थे। ये थी भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था उक्त आश्य के उद्गार आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज ने व्यक्त किए।

आज से दृव्य संग्रह की विशेष क्लाश प्रारंभ होगी: विजय धुर्रा

मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि आज से दृव्य संग्रह की विशेष क्लाश आचार्य श्री आर्जवसागरजी महाराज द्वारा प्रारंभ की जा रही है जो इस विषय में रुचि रखने वाले सभी लाभ लें सकते हैं धर्म सभा के प्रारंभ में आचार्य श्री की पूजन करते का सौभाग्य श्री दिगम्बर जैन युवा वर्ग के साथियों को मिला वहीं चित्र का अनावरण जैन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल, महामंत्री राकेश अमरोद, कोषाध्यक्ष सुनील अखाई, विपिन सिंघई निर्मल मिर्ची, अजित वरोदिया, सौरव वाझल ने किया। वहीं दीप प्रज्जवन जैन युवा वर्ग के संरक्षण विजय धुर्रा, अध्यक्ष सुलभ अखाई, सुभव कासंल, सचिन एन एस, अंकित सन्तूरा सहित युवा वर्ग के साथियों द्वारा किया गया ।

गुरु तो गंगा के पावन जल के समान होते हैं

उन्होंने कहा कि गुरु तो गंगा के समान है मानो तो गंगा मां है ना मानो तो बहता पानी वे हमेशा आप के जीवन की उत्थान की ही तो कामना करते हैं उन्हें आप से कुछ भी नहीं चाहिए बस वे तो इतना चाहते हैं कि आपको मानव जीवन मिला है इससे एक कदम तो आप आगे बढ़ सकें जिसके पास जितनी परिग्रह होगा उसका संसार उतना ही दीर्घ मानकर चलना और वह संसार में उतने ही परेशान होते हैं। उनकी शान्ति भंग हो जाती है धन‌ की चिंता में व्यक्ति अपनी जिंदगी की सुख सुविधा ही भूल जाते हैं धन की चाह में जीवन विगड रहा है धन की प्राप्ति भी धर्म से होगी धर्म से पुण्य की प्राप्ति होगी पुण्य के योग से धन दौलत अपने आप आतीं चलीं जाती है।

संसार से बचने के लिए राग द्वेष छोड़ना पड़ेगा्र

उन्होंने कहा कि अनाधिकाल से ये संसार का संबध चल रहा है इससे बचने के लिए राग द्वेष छोड़ना पड़ेगा इसलिए हमारे साधु पर पदार्थ को छोड़ सब कुछ सहते हुए इसको उतना ही देते हैं जितना आवश्यक है हम उतना ही देते हैं जितनी आवश्यकता है फिर देखें आप भी आगे बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा सभा का संचालन जैन युवा वर्ग के संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने किया।

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