Monday, November 11, 2024

सब कुछ छोड़कर जो भगवान के भजन में लग गया उसका कल्याण निश्चित हैं: आचार्य श्री

आचार्य परम्परा के कलशो की स्थापना हुई

अशोक नगर। सब कुछ छोड़ कर जो भगवान के भजन में लग गया उसका कल्याण निश्चित होता हैं। चाह गई चिंता मिटी मनवा हुआ बेपरवाह जिसकी चाहत इच्छाये खतम हो जाती है वह निश्चित हो जाता है सहज हो जाता है मन में कोई सल्य नहीं रहती वह खुशी खुशी सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगता इसलिए आप सब लोग बे अर्थ की चिंताओ को छोड़कर धर्म ध्यान किया करे उक्त आश्य के उद्गार सुभाषगंज मैदान में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज ने व्यक्त किए।

आर्जव वाणी के विशेषंक का हुआ लोकार्पण
परम पूज्य आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज के प्रवचनों विशेष उद्वोधन सहित समाजिक धर्मिक गतिविधियों को पुस्तक रूप दे विशेषंक के रूप में भोपाल से पहुंचे भक्तो दारा प्रकाशित आर्जव वाणी विशेषंक का विमोचन जैन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल, महामंत्री राकेश अमरोद, कोषाध्यक्ष सुनील अखाई, मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा के साथ बाहर से पधारे अतिथियों द्वारा किया गया । इसके बाद अतिथियों ने प्रथम पुस्तिका आचार्य श्री को भेट की। मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि कल ही आचार्य श्री द्वारा प्रातः काल द्रव्य संग्रह पर विशेष कक्षा प्रारंभ की जा रही है । वहीं बच्चो के लिए कंठ पाठ प्रतियोगिता कि जा रही है जो चार माह चलेगी और पिच्छिका परिवर्तन के समय सर्वप्रथम आने वाले परीक्षार्थियों को सम्मानित किया जाएगा ।

आचार्य परम्परा के नाम से हुए कलश स्थापित
आचार्य श्री आर्जवसागर जी महाराज की प्रेरणा से मूल आचार्य परम्परा के नाम से प्रमुख पांच कलशो के बाद कलश स्थापित किए गए जो रत्नत्रय कलश आचार्य शाँति सागर कलश अशोक कुमार दिलीप कुमार अजित कुमार बरोदिया, आचार्य ज्ञान सागर कलश केवल चंद मनोज कुमार भैसरवास, आचार्य श्री विद्यासागर कलश पदमकुमार सौरभकुमार बाझल, इसके बाद विशेष अन्य दो मुख्य कलश सुनीलकुमार अथाई परिवार , रविकांत कांसल परिवार के साथ ही प्रमुख कलशो को मन्दिर की वेदी पर मनोज रन्नौद राकेश अमरोद राजेश कक्का धर्मेन्द्र रोकड़िया मनोज धुर्रा के परिवार जनों ने अन्य कलशो के साथ स्थापना की।
विनय से भरे व्यक्ति ऊंचाईयों को प्राप्त करते हैं
शिष्य भी पूज्य पुरूषो के पास विनय से भरकर जातें हैं विनय से भरे व्यक्ति ऊंचाईयों को प्राप्त करते हैं ॐ को सभी धर्मो में श्रेष्ठ जेष्ठ माना गया है आप प्रातः काल उठकर ओम का नाद करे। आपका दिन बहुत अच्छे से वीतेगा ओम जय जय के साथ दिन‌ प्रारंभ हो ओम की महिमा को प्राणायम के माध्यम से ध्यान करायेंगे पहले ध्यान की प्रक्रिया को समझगे फिर ध्यान की ओर बढ़ेंगे।
मंगल करेंगे तो दंगल दूर हो जायेंगा
उन्होंने कहा कि जो संसार के सारे वैभव को देने वाला है ऐसे ओम को अपने जीवन में लाए हर कार्य ओम से प्रारंभ होता है मंगल हमारे पापों को गलाने वाला है प्रातः काल की वेला में हम मंगल भी करते हैं मंगल करने से सब दंगल दूर हो जाते हैं। प्रभु चरणों में झुकते हैं तो मान कषाय नष्ट हो जाती है तीन वार नमन करते हैं आप मूल्य वान वस्तु को समर्पित करते तो क्या वोलते है अनर्घ्य पद प्राप्त करने की भावना से साथ चढ़ाया जाता है। सभा का संचालन युवा वर्ग संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने किया।

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