Sunday, September 22, 2024

मनुष्य का लोभ मृग्घ तृष्णा की तरह है, जो कभी शांत नही होता है: साध्वी प्रितीसुधा

सुनिल चपलोत/भीलवाड़ा। धर्म का सम्बंध आत्मा से होता हैं न की लालच से प्रखर वक्ता डॉ. प्रितीसुधा ने रविवार को अहिंसा भवन शास्त्री नगर में धर्मसभा मे सम्बोधित करते हुए कहा कि इंसान का लोभ एक क्षणिक प्यास की तरह हैं। जिसकी पूर्ति के लिए मनुष्य अनैतिक बन जाता है और गलत-काम करने से नही चुकता । वह भूल जाता हैं। कि उसके जीवन की कुछ मर्यादाएं भी हैं। फिर भी वह लालच के चक्कर में इंतना अंधा हो जाता कि उसे सही गलत का ज्ञान नही कर पाता।और अपने जीवन पतन कर लेता हैं। व्यक्ति का लोभ लालच उस मृग्घ तृष्णा की तरह जो कभी शांत नही होता जितना पूरा करे उतनी ही बढ़ती जाती हैं । जब व्यक्ति अपनी लालसा और लोभ पर अंकुश नही लगायें तब उसके जीवन में शांति नही मिलने वाली हैं। साध्वी संयम सुधा ने कहा कि लालची और लोभी मनुष्य समाज का कभी हित नही कर सकते हैं। महासती उमराव कंवर साध्वी मधुसुधा ने भी धर्मसभा में विचार व्यक्त कियें। संघ सह मंत्री संदीप छाजेड़ ने बताया कि इसदौरान अनेक भाई बहनों ने साध्वी मंडल से उपवास आयंबिल एकासन व्रत के प्रत्याख्यान लिये। तथा पाली ब्यावर बिजयनगर,अजमेर,उदयपुर, जौधपुर आदि मेड़ता आदि क्षैत्रो से पधारे अतिथीयो का अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल, अशोक पौखरना, हेमन्त आंचलिया, तथा चंदन बाला महिला की बहनों ने सभी सम्मान किया। तथा दोपहर को महामंत्र नवकार का सामूहिक जाप हुआ।

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