पुरस्कार से मिलती है नई ऊर्जा: मुनि श्री सुप्रभसागर
तीन समूहों में आयोजित हुई थी राष्ट्रीय प्रतियोगिता
ललितपुर। श्रमण रत्न सुप्रभ सागर जी महाराज, श्रमण रत्न प्रणत सागर जी महाराज की प्रेरणा व सान्निध्य में श्रुत पंचमी के अवसर पर राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन उत्कर्ष समूह व पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जुन्नारदेव के तत्वावधान में किया गया था। प्रतिभागियों को मात्र 9 दिनों की अवधि में निबंध लिखकर भेजना था। प्रतिभागियों ने भारी उत्साह दिखाया और तीनों समूह में 9 राज्यों से 176 निबंध प्राप्त हुए। सभी प्रतिभागियों ने निर्धारित विभिन्न विषयों पर बहुत ही अच्छे ढंग से , चिंतन-मनन और श्रम पूर्वक निबंध लिखे।
प्रतियोगिता के निर्देशक/संयोजक डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर ने बताया कि सभी विजयी प्रतिभागियों को उज्जैन के ऋषिनगर में श्रमण रत्न सुप्रभ सागर जी महाराज, श्रमण रत्न प्रणत सागर जी महाराज (ललितपुर नगर गौरव) के सान्निध्य में पुरस्कृत किया गया।
त्रिस्तरीय निर्णायक मंडल की अनुसंशा पर निबंध प्रतियोगिता का परिणाम घोषित गया था। उज्जैन में आयोजित पुरस्कार समर्पण समारोह में सभी को सम्मानित किया गया।
इस मौके पर मुनि श्री सुप्रभ सागर महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि प्रतिभाओं का सम्मान करना एक अच्छी परंपरा है। इससे दूसरों को प्रेरणा मिलती है तो समाज को टेलेंट मिलता है। प्रतिभाएं देश की धरोहर हैं उनको प्रोत्साहित करना हमारा कर्तव्य है। जो पुरस्कृत होते हैं उनका उत्साहवर्धन होता है तथा अन्य लोगों को प्रेरणा मिलती है। मेधावियों को पुरस्कार से नई ऊर्जा मिलती है ।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। संचालन प्रतियोगिता के संयोजक/निर्देशक डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर ने किया।
इस मौके पर प्रतियोगिता के परामर्श मंडल के ब्र. साकेत भैया जी, राजेन्द्र ‘महावीर’ सनावद, पंडित अखिलेश जैन शास्त्री तथा प्रतियोगिता आयोजन समिति के राजेश जैन गुड्डू, जितेंद्र जैन आकांक्षा, दिलीप जैन एवं उज्जैन जैन समाज के प्रमुख पदाधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।