भगवान की लीला अनंत अपार बया नहीं हो सकती मुख से
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। हम ईश्वर का भले कितना ही गुणगान करे फिर भी हम संसार में प्रभु का वर्णन कर सकते है वह तो अनंत है। इसीलिए कहा गया है कि हरि अनंत हरि कथा अनंता। भगवान की सारी लीला को मुख से नहीं कहा जा सकता वह तो अनंत अपार है जिसे केवल महसूस किया जा सकता है। जो हरि कथा के रहस्य को समझ जाता है वह संसार सागर से पार हो जाता है। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय श्री रामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा के अधीन शहर के माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा धाम में वरिष्ठ संत डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री (सोजत सिटी वाले) ने शुक्रवार को चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला के तहत व्यक्त किए। सत्संग में डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री ने गर्ग संहित की चर्चा करते हुए कहा कि मानव जीवन लेने पर शुभ व अशुभ कर्म हमारे साथ चलते रहते है। हमे प्रयास करना है कि हम शुभ कर्म करें और अशुभ कर्मो का त्याग करें। इतिहास के कई प्रसंग देख लो जो ये बताते है कि व्यक्ति राजा या धनवान बनकर कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो जाए कर्मो का फल तो उसे भोगना ही पड़ता है। कर्मो के फल भोगने से कोई नहीं बच पाया। कंस हो या रावण सभी शक्तिशालियों को कर्मो के फल भोगने ही पड़े। कर्म बंधन से मुक्ति का मार्ग तो गुरू कृपा, परमात्मा की कृपा व आत्म बोध साधना से ही संभव है। शास्त्रीजी ने महाप्रभु स्वामी श्री रामचरणजी महाराज की कठिन साधना के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस तरह की साधना सोए हुए शेर को जगा उस पर सवारी करने के समान है। सत्संग के दौरान मंच पर रामस्नेही संत श्री बोलतारामजी एवं संत चेतरामजी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
चातुर्मास के तहत प्रतिदिन भक्ति से ओतप्रोत विभिन्न आयोजन
चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रातः 5 से 6.15 बजे तक राम ध्वनि, सुबह 8 से 9 बजे तक वाणीजी पाठ, शाम को सूर्यास्त के समय संध्या आरती का आयोजन हो रहा है। सुबह 9 से 10.15 बजे तक संतो के प्रवचन व राम नाम उच्चारण हो रहा है। रामद्वारा में चातुर्मासिक सत्संग के दौरान प्रतिदिन भीलवाड़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों के साथ देश के अलग-अलग क्षेत्रों से श्रद्धालुजन सत्संग श्रवण के लिए पहुंच धर्म लाभ ले रहे है। रामद्वारा सेवा समिति द्वारा बाहर से आने वाले भक्तजनों के लिए आवास सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।