महाप्रभावक, विघ्न निवारक, सर्वसिद्धिदायक उवसग्गहरं स्तोत्र का जाप हुआ
जयपुर। मानसरोवर किरण पथ स्थित महावीर भवन में वर्षावास हेतु विराजित महाश्रमणी राजस्थान सिंहनी गुरुमाता महासती श्री पुष्पवती जी (माताजी) म.सा.आदि ठाणा –7 के पावन सान्निध्य में आज महाप्रभावक, विघ्न निवारक, सर्वसिद्धिदायक उवसग्गहरं स्तोत्र का जाप हुआ जिसमें श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा। धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपप्रवर्तिनी मरूधरा शिरोमणि सदगुरुवर्या डॉ.श्री राजमती जी म.सा. ने फरमाया कि विवेकी और श्रद्धाशील प्राणी पापों का उसी प्रकार परित्याग करें जिस प्रकार सर्प अपनी पुरानी केंचुली को छोड़कर बिना पीछे मुड़े सरपट भाग जाता है। श्रद्धा का अभाव जीवन को अशांति, भीरूता और संकीर्णता से भर देता है जबकि श्रद्धाशील व्यक्ति स्व विवेक से पाप मार्ग और पुण्य मार्ग के अंतर को समझकर अपने जीवन के उच्चतम लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है।
डॉ.साध्वी राज रश्मि जी म.सा. ने कहा– जैन कुल के संस्कारों के कारण जैन साधना को देखकर उसे अच्छा समझने से अपने कुल की परंपरा मानकर मर्यादा में रहने का प्रयास करना चाहिए। मर्यादित जीवन ही संस्कारों का संरक्षण कर सकता है एवं धर्म आराधना में तत्पर होकर संवर,तप,निर्जरा के द्वारा आत्मकल्याण कर सकते हैं। डॉ.साध्वी राजऋद्धि जी म.सा. ने कहा– मनुष्य का आचरण ही उसे महान बनाता है क्योंकि सदाचार से उच्च विचारों का जन्म होता है और उच्च विचारों से आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण होता है। संघमंत्री प्रकाश चंद लोढ़ा ने बताया कि– पूज्या महासतीवृंद की सद्प्रेरणा से श्री संघ में धर्म ध्यान तप जप के ठाठ लगे हुए हैं। आज उवसग्गहरं स्तोत्र जाप की प्रभावना का लाभ महेंद्र सिंह ,सुशील ,मोहित गोखरू परिवार द्वारा लिया गया। श्री संघ की ओर से उनका आभार व्यक्त किया गया। आगामी 9 जुलाई को प्रातः 5:40 बजे बड़ा मांगलिक एवं प्रार्थना होगी।प्रार्थना के पश्चात 6:15 बजे विशेष प्रवचन ” क्रोध पर नियंत्रण कैसे करें” विषय पर होगा। प्रातः 8:30 बजे से 10 बजे तक दैनिक प्रवचन के पश्चात “नवकार करे भवपार” विषय पर धार्मिक ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन रहेगा। दोपहर 3 बजे से आगम वाचन एवं बाल संस्कार शिविर का आयोजन होगा।