प्रमादी व्यक्ति धर्म नही कर सकता हैं: साध्वी धर्मप्रभा
सुनिल चपलोत/चैन्नई। जो व्यक्ति प्रमाद करता हैं वह धर्म नही कर सकता हैं । बुधवार को महासती धर्मप्रभा ने साहूकार पेठ एस.एस.जैन भवन साहूकार पेठ में चातुर्मास के चतुर्थ दिवस धर्म आराधना करने वाले सैकड़ों श्रध्दालुओं से कहा कि मानव के जीवन का कौई भरोसा नही कब उसकी सांसे थम जायें और शरीर को त्यागना पड़ जाये । उससे पहले व्यक्ति संभल जाए तो आत्मा को दुर्गति में जाने से बचा सकता हैं। मनुष्य के पास इधर उधर की बातें करने का समय हैं,परन्तु धर्म के लिए नहीं हैं। इन्द्रियों के क्षीण होने से पहले मनुष्य क्रोध मोह,माया,लोभ और प्रमाद का परित्याग कर देवें,तो आत्मा के मोक्ष मे जाने से कौई नही रोक सकता हैं ।अगर तुम भगवान को भूल गये तो वह भी तुम्हारी रक्षा नही करेगें। जब तुम निस्वार्थ भावो से उसकी साधना आराधना करोगें तभी वह तुम्हारी वो रक्षा करेगा। साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्तराधन्य सूत्र का वाचन करते हुये कहा कि प्रमादी व्यक्ति को उचित अनुचित का ज्ञान नही होता हैं। उसे यही लगता हैं कि जो वह कर रहा वह सही हैं। इस शरीर के मिठ्ठी मे मिलने पहले परमात्मा की भक्ति करेगा तो मुक्ति का मार्ग प्राप्त कर लेगा। जबकि मानव का जीवन क्षणभंगुर हैं, फिर वह कसायों मे लिप्त रहता है। छोड़ने पर जीवन को सफल बना सकता हैं। एस. एस. जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया कि धर्मसभा मे एक उपवास चार उपवास आदि तपस्याओ के साथ आयंबिल, एकासन व्रत के अनेकों जनों ने साध्वी धर्मप्रभा, विदुषी स्नेहप्रभा से प्रत्याख्यान लिये। तथा साध्वी मंडल की प्रेरणा पर 65 दिनों प्रतिदिन होने पैंसटिया के जाप का घर घर मे करवाने का संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी,महामंत्री सज्जनराज सुराणा, पदमचंद ललवानी, पी महावीर कोठारी, जितेंद्र भंडारी, बादल चंद कोठारी, शम्भूसिंह कावड़िया, हस्तीमल खटोड़ आदि पदाधिकारियों और सैकड़ों भाई बहनों की उपस्थिति मे साध्वी धर्मप्रभा के मंगल पाठ से शुभारंभ किया गया। धर्मसभा का संचालन सज्जनराज सुराणा द्वारा किया गया।