रामद्वारा धाम में चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। जीवात्मा की रचना भले परमात्मा करता है लेकिन उस जीवात्मा को मोक्ष पाने का रास्ता गुरू ही दिखाता है। परमात्मा तो जीव को बनाकर संसार की मोह माया में डाल देता है ओर बाद में उसकी खोज खबर भी नहीं लेता। ऐसे में यदि गुरू का सही मार्गदर्शन नहीं मिले तो जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकती ही रहेगी। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय श्री रामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा के अधीन शहर के माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा धाम में वरिष्ठ संत डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री (सोजत सिटी वाले) ने बुधवार को चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला के तहत व्यक्त किए। सत्संग में डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री ने कहा कि मानव जीवन अनमोल है ओर करोड़ो वर्ष तक दुःख भोगने पर जीवात्मा को मानव जन्म मिलता है। मानव जीवन मिलने के बाद अज्ञान व मूढ़ता वश गुरू का उपदेश अंगीकार नहीं किया तो जीवन का कल्याण नहीं हो पाएगा और जन्म-जन्मांतर भटकते रहेंगे। गुरू का कभी जीवन में अनादर नहीं करना चाहिए। गुरू के लिए शिष्य पुत्रवत होता है ओर वह हमेशा उसके कल्याण की कामना करता है। शास्त्री ने कहा कि परमात्मा ने भी यदि मनुष्य शरीर में अवतार लिया तो वह भी बिना गुरू के इस संसार से विदा नहीं हुए। इसलिए अज्ञानी नहीं बन गुरू के उपेदशों को जीवन में अंगीकार करे और आत्मकल्याण के पथ पर आगे बढ़ जाए। उन्होंने कहा कि गुरू का सम्मान करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलकर जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। रामद्वारा में चातुर्मासिक सत्संग के दौरान प्रतिदिन भीलवाड़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ो श्रद्धालुजन सत्संग श्रवण के लिए पहुंच रहे है। सत्संग के दौरान मंच पर रामस्नेही संत श्री बोलतारामजी एवं संत चेतरामजी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। सत्संग में रामस्नेही परम्परा के भजन की प्रस्तुति इंदु वर्मा ने दी।