मुनि शुद्ध सागर महाराज के सान्निध्य में विशेष प्रवचनमाला
विमल जोला/निवाई। सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान बिचला मंदिर स्थित श्री शान्तिनाथ भवन में आयोजित चातुर्मास के दौरान मुनि शुद्ध सागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में वीर शासन जयन्ती के सुअवसर पर श्री जी के अभिषेक शांतिधारा एवं विश्वशांति महायज्ञ सहित दीप, धूप, फल के साथ मनोभावों के साथ भक्ति करके पूजा अर्चना की। इस अवसर पर वीर शासन जयन्ती के बारे में सम्बोधित करते हुए जैन मुनि शुद्ध सागर महाराज ने कहा कि आज के दिन जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की प्रथम दिव्य देशना खिरी थी । अर्थात समवशरण में विराजित महावीर भगवान स्वामी उत्तम पात्र के अभाव में 65 दिन तक मौन रहे थे गुरु पूर्णिमा के दिन गौतम गणधर जैसा दिव्य ध्वनि को झेलने वाला उत्तम पात्र मिलते ही दिव्य देशना खिर गयी और उनकी वाणी को गौतम गणधर ने बीज बुद्धि के माध्यम से मात्र 48 मिनट में सर्वत्र प्रचार कर दिया था तब से यह दिन वीरशासन जयन्ती पर्व के रूप में मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि जब तीर्थंकर बालक का जन्म होता है उस समय सुमेरु पर्वत पर जन्माभिषेक करते समय सौधर्म इन्द्र आदि एवं बृहस्पति अपने मुख से एक हजार आठ नाम पूर्वक प्रभु का गुणगान करता है। भगवान के 1008 नाम की यह सहस्रनाम मंत्रावली जो भी श्रद्धा पूर्वक पढ़ता है या जाप करता है उसके समस्त रोग, विघ्न बाधायें, गृह क्लेश कालसर्पयोग आदि कष्ट क्षण भर में दूर हो जाते हैं सहस्रनाम की महिमा अद्भुत इस भक्ति को दीप, धूप फल के साथ, आहुति घी की आहुति एवं पुष्पों से जाप पूर्वक करने से इसका फल तीन गुना अधिक हो जाता है तथा गुरु सान्निध्य में और विशेष पर्वों में करने से इसका फल करोड़ गुना हो जाता है। जौंला ने बताया कि सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी एवं गोतम गणधर की विशेष पूजा अर्चना की गई। जौंला ने बताया कि 9 जूलाई को मंगल कलश स्थापना की जाएंगी।