सोयाबीन के अंदर अल्प मात्रा में एक विषाक्त व हानिकारक तत्व अमीनो-प्रो-पियोनिक एसिड” मौजूद होता है। यह तत्व उसे पकाने पर ही नष्ट होता है। अतः किसी भी परिस्थिति में सोयाबीन के दानों को कच्ची अवस्था में नहीं खाना चाहिए। जैसे कुछ लोग इसे मल्टी ग्रेन आटे में पिसवा लेते हैं, या इसे पानी में फुला कर बिना पकाए ही खा लेते हैं। ऐसा करना अत्यंत हानिकारक हो सकता है। इसका सबसे आसान तरीका है रेडीमेड “सोया बड़ी” का उपयोग करना। यह बडियां, सोयाबीन के तेल निकली खली (डिऑइल्ड सोया केक) के आटे को भाप से पका कर उससे बनाई जाती हैं। इन बड़ियों को आप गेहूं के साथ पिसवा कर, इनकी सब्जी बना कर, इसके बारीक ग्रेनुअल्स को पानी में फुला व उसके कोफ़्ते इत्यादि बना कर इत्यादि विभिन्न तरीके से उपयोग कर सकते हैं। अगर आप इसे पानी में फुला कर खाना चाहते हैं, तो फुलाऐ हुए कच्चे सोयाबीन के दानों को 1–2 मिनट उबाल कर ही खाएं। इसी प्रकार सोया मिल्क बनाने के बाद उसे कभी भी कच्चा सेवन न करें, उसे भी उबाल कर ही उपयोग करें।
यह जानकारी फूड सेफ्टी फीचर्स के एक शोध पर आधारित है।