Monday, November 25, 2024

चातुर्मास स्थापना का मुख्य उद्देश्य अहिंसा व्रत का पालन करना हैं: आचार्य ज्ञेयसागर

ज्ञानतीर्थ पर हुआ कलश स्थापना समारोह

मनोज नायक/मुरैना। अहिंसा महाव्रत का पालन, धर्म प्रभावना, भक्ति, ज्ञान एवम ध्यान के लिए चातुर्मास की स्थापना की जाती है। दिगम्बर जैन संत निरंतर पद विहार करते हैं। लेकिन वर्षाकाल में एक ही स्थान पर रुककर साधना करते हैं। वर्षाकाल में एक ही स्थान पर संकल्प के साथ रुकने का समय चार माह होता है, इसीलिए इसे चातुर्मास कहते हैं। चातुर्मास स्थापना का मुख्य उद्देश्य अहिंसा व्रत का पालन करना हैं। वारिस के मौसम में असंख्यात जीवों की उत्पति हो जाती हैं। पद विहार के दौरान जीव हिंसा न हो, इसी लिए चातुर्मास की स्थापना की जाती है। उक्त विचार छाणी परंपरा के सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर महाराज ने ज्ञानतीर्थ मुरैना की पावन धरा पर वर्षायोग कलश स्थापना समारोह में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। पूज्य आचार्य श्री ने उपस्थिति भक्तों को संबोधित करते हुए कहाकि चातुर्मास के दौरान साधु संतों के मुख से वाणी खिरती है और आसमान से जल की बरसात होती है। इस समय सांसारिक प्राणी को भी संयम व नियम पूर्वक रहकर आत्मकल्याण हेतु प्रयास करना चाहिए। ज्ञानज्ञेय वर्षायोग समिति के अध्यक्ष योगेश जैन खतौली एवम मुख्य संयोजक रूपेश जैन आगरा द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार एबी रोड हाइवे पर स्थित ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर में आचार्य श्री ज्ञेयसागर महाराज, संघस्थ मुनिश्री ज्ञातसागर महाराज, मुनिश्री नियोगसागर महाराज, क्षुल्लक सहजसागर महाराज के चातुर्मास कलश स्थापना समारोह का शुभारंभ मुकेश जैन विटुमेन आगरा के द्वारा किए गए ध्वजारोहण से हुआ। पूज्य गुरुदेव का पाद प्रक्षालन निर्मल जैन वैट्री बाले आगरा ने किया। चातुर्मास का प्रथम कलश के. के. जैन चांदी वाले आगरा एवम द्वितीय कलश रूपेश जैन चांदी वाले आगरा, तृतीय कलश राजीव जैन बलवीर नगर, चतुर्थ कलश संजय जैन बुढ़ाना, पंचम कलश दीपचंद अजीत जैन आगरा को स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त हूआ। अन्य कलशों को बकीलचंद पंकज जैन, संजय सुशील जैन शालीमार आगरा, आनंद जी खैकड़ा, मनीष जैन गाजियाबाद, ब्र.महावीर विमल जैन मुरैना, संजय भूषण जैन शंकर नगर, प्रेमचंद जैन बंदना साड़ी मुरैना, शांतिलाल राकेशकुमार जैन मुरैना ने स्थापित किया। कलश स्थापना समारोह की समस्त मांगलिक क्रियाएं प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी नितिन भैयाजी खुरई ने सम्पन्न कराई। सम्पूर्ण कार्यक्रम ब्रह्मचारिणी बहिन अनीता दीदी, मंजुला दीदी, ललिता दीदी के निर्देशन में सम्पन्न हुआ।

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