प्रकाश पाटनी/भीलवाड़ा। आर.के.कॉलोनी स्थित विद्यासागर वाटिका में आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ का चातुर्मास कलश स्थापना समारोह बड़े उत्साह उमंग के साथ संपन्न हुआ। होॅल श्रद्धालुओं से खचा-खच भरा हुआ था। जयकारों से सारा वातावरण गूंज उठा। आरंभ में मंगलाचरण कर बाहर से आए अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। टीकमगढ़ के गुरु भक्त परिवार द्वारा मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन किया। परिवारजनों द्वारा मुनि श्री को शास्त्र भेंट किए। इस अवसर पर पाठशाला के बच्चों द्वारा जैनम जयतु शासनम पर आधारित सुंदर प्रस्तुति दी। जिसमें धर्म के संस्कारों को दर्शाया गया था। चारु गदिया बालिका ने कन्नड़ , हिंदी भाषा में सुंदर काव्य प्रस्तुत किया। इस उपरांत संगीत पार्टी के वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों में सभी कॉलोनी के महिला मंडल, युवा मंडल, समाज के वरिष्ठ जनों द्वारा अलग-अलग वेशभूषा मे भक्ति धार्मिक गीतों के साथ नृत्य करती हुई मंच पर पहुंचकर गुरु पूजा की। समारोह में भोपाल, हिम्मतनगर, इंदौर, नीमच, मंदसौर, दिल्ली आदि कई प्रांतों से बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, युवा कार्यक्रम की शिरकत की।
मुख्य कलश की स्थापना युवराज, आदित्य जैन टीकमगढ़ परिवारजनों की। इसके अलावा गुलाबचंद मनीष शाह, आजाद, वअमित जैन, अरविंद सिद्धार्थ जैन, सनत कुमार अजमेरा, राकेश अजय पंचोली एवं डॉ अभिषेक जैन ने चतुर्मास कलश स्थापना की। सभी कलश स्थापनाकर्ताओ, बाहर से आए अतिथियों को माल्यार्पण कर पगड़ी पहनाकर, शाल ओढ़ाकर सम्मान किया। ट्रस्ट अध्यक्ष नरेश गोधा ने अपने उद्गार प्रकट किए। इस दौरान मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने धर्म उपदेश मैं कहा कि साधु चातुर्मास के लिए ऐसा स्थान चयन करता है जहां उसके ज्ञान की साधना हो सके। अहिंसा का पालन व रत्नत्रय की पालना हो। चातुर्मास में श्रावक को अपने अंतरंग में ज्ञान एवं सम्यकत्व के बीज बोना चाहिए। इससे पहले प्रातः मुनिससंघ के सानिध्य में वैदिक मंत्रोचार द्वारा नरेश उषा गोधा परिवारजनों ने ध्वजारोहण किया। समारोह का संचालन सुरेश गदिया एवं श्रीमती राजुल अजमेरा ने किया। इस अवसर पर बड़ी तादाद में धर्मालुगणो की उपस्थिति रही।