नियमित धर्म आराधना साधना करने से ही मानव संसार से अपनी आत्मा को मुक्ति दिला पाएगा: प्रखर वक्ता साध्वी प्रितीसुधा
सुनिल चपलोत/भीलवाड़ा। धर्म ध्यान तप आराधना करने ही मानव भव सफल बन सकता है। प्रखर वक्ता डॉ प्रितीसुधा ने रविवार को अहिंसा भवन मे चातुर्मास के प्रथम दिन सैकड़ों श्रध्दालूओ को धर्मसंदेश देते हुये कहा कि संसार मे इंसान को मनुष्य भव बार बार नही मिलने वाला है। चौरासी लाख योनियों के बाद ही मानव जीवन प्राप्त होता है। मनुष्य योनी ही ऐसी योनी है जिससे आत्मा को संसार से मुक्ति मिल सकती है। नियमित साधना होगी तभी संसार के माया जाल से प्रांणी भवसागर पार कर पाएगा। साध्वी संयम सुधा ने कहा कि चातुर्मास तभी सार्थक बन सकता है जब जीवन मे धर्म का समावेश होगा तभी जीवन सफल बन पाएगा। महासती उमराव कंवर ने सामूहिक तेला तप की तपस्या करने वाले सभी भाई बहनो को प्रत्याख्यान दिलाते हुये कहा कि तपस्या वही कर सकता है जिसके मन पर अंकुश हो भावना शुध्द होगी तभी तप का सुफल प्राप्त हो पाएगा। चातुर्मास के प्रथम दिन अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल निर्वतमान अध्यक्ष अशोक पोखरना महामंत्री रिखबचंद पीपाड़ा,समाजसेवी हेमन्त आंचलिया, सुशील चपलोत हिम्मतसिंह बापना संदीप छाजेड़ तथा चंदनबाला महिला मंडल की अध्यक्षा नीता बाबेल, मंत्री रजनी सिंघवी, मंजू बापना, उमा आचंलिया, सरोज महता, अंजना सिसोदिया पूर्वसभापति मंजू पोखरना आदि सभी पदाधिकारियों ने धर्मसभा मे विचार व्यक्त किये ओर तपस्वियों के तप की अनुमोदना की गई। संघ मंत्री रिखब चन्द पीपाड़ा ने जानकारी देते हुये बताया की सोमवार को गुरू पूर्णिमा साध्वी मंडल के विषेश प्रवचन रहेंगे तथा सामूहिक नवकार महामंत्र का जाप किया जायेगा।