Monday, November 25, 2024

गुरुत्त्व के उपलब्ध होने के पूर्व शिष्यत्त्व का उपलब्ध होना परमावश्यक: आचार्य श्री सौरभ सागर जी

आचार्य श्री के चरण स्पर्श को लेकर सुबह 5 बजे से उमड़े श्रद्धालु

जयपुर। सोमवार को सेक्टर 8 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रताप नगर में गुरुपूर्णिमा महोत्सव श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर देशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे और आचार्य सौरभ सागर महाराज के केवल चरण स्पर्श की मूल भावना को साकार करने के लिए सुबह 5 बजे से संत भवन में श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा, जेसे ही आचार्य श्री ने प्रातः 5.45 बजे बाहर आए गुरुभक्तों ने जयकारों की दिव्य गूंज और पुष्पवर्षा के साथ अगवानी। इसके उपरांत एक – एक कर श्रद्धालुओं ने दूध, केसर, पुष्प, जल आदि के साथ पाद प्रक्षालन कर गुरुवर का आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रातः 8 बजे से मुख्य पांडाल पर गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया गया। जिसमें सर्व प्रथम समाज की बालिकाओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया, इसके बाद विभिन्न समाजश्रेष्ठियो द्वारा आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के चित्र का अनावरण एवं चित्र के सम्मुख दीप प्रवज्जलन कर समारोह की विधिवत शुरुवात की। इसके बाद गुरुभक्तों द्वारा आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन किए और शास्त्र भेंट किया। इस दौरान समाजसेवी राजीव सीमा जैन गाजियाबाद वाले, अमरचंद, गजेंद्र, हर्षिल बडजात्या, संदीप, नमन जैन देहरादून, सरोज, पंकज, मोनिका जैन राधेपुरी दिल्ली, राजेश निशा जैन सेक्टर 5 रोहिणी दिल्ली, अमित जैन सेक्टर 24 रोहणी दिल्ली, सर्वेश जैन जयसिंह पुरा, अध्यक्ष कमलेश जैन बावड़ी वाले, मंत्री महेंद्र जैन पचाला वाले, कार्याध्यक्ष दुर्गालाल जैन, प्रचार संयोजक सुनील साखुनियां, बाबू लाल जैन इटुंदा, मनोज जैन, राजेंद्र सोगानी आदि सहित गाजियाबाद, देहरादून, लखनऊ, दिल्ली, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम, आगरा आदि सहित जयपुर की विभिन्न कॉलोनियों से श्रद्धालुओं ने पहुंचकर आचार्य श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुपूर्णिमा पर अपने आशीर्वचन देते हुए आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा कि जो दूज का चांद होता है वही पूर्णिमा का चांद होता है। जो दूज को चांद नही बनता वह कदापि पूर्णिमा का चांद नही बन पाता है। जो शिष्य बनता है, वही गुरु पद पर आसीन हो पाता है। आंगन में प्रवेश करने के लिए देहरी को लांघना आवश्यक है। पिता बनने के लिए पुत्र बनना आवश्यक है, वृक्ष बनने के लिए बीज बनना आवश्यक है, भगवान बनने के लिए भक्त बनना आवश्यक है, उसी प्रकार गुरुत्त्व को उपलब्ध होने के लिए शिष्यत्तव को उपलब्ध होना परमावश्यक है। आचार्य ने कहा की गुरु सोये हुए में जागा हुआ व्यक्ति है। गुरु पथ प्रदर्शक होता है, गुरु हमारे कल्मष हो धोते है, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते है। गुरु जब पूर्ण होता है तब परमात्मा की वाणी को ग्रहण करने में समर्थ होता है। प्रचार संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया की आचार्य श्री के सानिध्य में शाम 6.30 बजे भगवान शांतिनाथ स्वामी की सामूहिक मंगल आरती की गई, इसके बाद श्रद्धालुओं ने आचार्य सौरभ सागर महाराज की आरती की, इसके उपरांत आचार्य श्री के सानिध्य में आनंद यात्रा और शंका समाधान का आयोजन हुआ। मंगलवार को प्रातः 8 बजे मुख्य पांडाल में वीर शासन जयंती महोत्सव मनाया जायेगा। इस दौरान आचार्य श्री के मंगल प्रवचन भी संपन्न होगे।

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