जयपुर। आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को सर्वत्र गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु की महत्वता को सभी धर्मों ने स्वीकार किया है। गुरु को सर्वोपरि माना गया है। कहा गया है, “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरुदेव की गोविंद दियो बताय” भारत देश की परंपरा में भगवान से भी बढ़कर गुरु को सम्मान दिया गया है। वर्षा योग समिति के प्रचार संयोजक रमेश गंगवाल ने जानकारी देते हुए बताया आमेर नगर के संकट हरण पार्श्वनाथ जिनालय में वर्षा योग विराजमान पूज्य उपाध्याय श्री 108 उर्जयंत सागर जी मुनिराज की पावन निश्रा में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया। पूज्य पाद गुरुदेव ने गुरु की महत्वता को बताते हुए अपने उद्बोधन में कहा, वर्षा योग चतुर्मास की स्थापना कल ही की है वर्ष भर में तीन बार यह अवसर प्राप्त होता है जब प्रभु वर्धमान स्वामी को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई, माना तो यही जाता है कि जैसे ही तीर्थंकर देव को केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है, उसी समय भगवान की दिव्य वाणी भव्य जीवो के लिए खिरती है। भगवान उपदिष्ट हो जाते हैं।परंतु 66 दिन व्यतीत हो जाने पर भी भगवान की वाणी नहीं उद् घाटित नहीं हुई, तब इंद्रदेव उस समय के प्रकांड विद्वान विप्र वर इंद्र भूति गौतम के पास पहुंचे ,उन्हें अपने संवाद और प्रश्नों के द्वारा इस बात के लिए अग्रसारित कर दिया, कि वे भगवान के समवशरण में आयें। तब इंद्र भूति गौतम अग्नि भूति गौतम वायु भूति आदि बन्धु अपने पांच -पांच सौ शिष्यों के साथ भगवान के समवशरण में पहुंचे, वहां पर स्थित मान स्तंभ को देखते ही उन्हें अपने सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो गए। उनका मान गल गया। और उसी समय अपने बंधुओं के साथ इंद्र भूति गौतम ने प्रभु वर्धमान स्वामी से शिष्यत्व ग्रहण किया उनके संयम व शिष्यत्व ग्रहण करने के इस दिवस को गुरु पूर्णिमा के रूप में हम सभी लोग उत्साह के साथ मनाते हैं। वर्षा योग समिति के मुख्य संयोजक रुपेन्द्र छाबड़ा ने बताया दिनांक 4 जुलाई 2023 मंगलवार को वीर शासन जयंती दिवस राजस्थान जैन सभा एवं उपाध्याय उर्जयंत सागर वर्षा योग समिति के संयुक्त तत्वावधान में प्रातः 9 बजे से कार्यक्रम आयोजित होगा।
रमेश गंगवाल