Tuesday, November 26, 2024

सुनकर जिनवाणी अब करो आत्म उद्धार चौमासों आयो रे: महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा.

12 घंटे सजोड़ा नवकार मंत्र जाप एवं सामूहिक आयम्बिल के साथ चातुर्मासिक आराधना का आगाज

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। शहर के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित स्थानक रूप रजत विहार में श्री अरिहन्त विकास समिति के तत्वावधान में पहले चातुर्मास का विधिवत आगाज रविवार को चातुर्मासिक पक्खी से हो गया। मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या मरूधरा ज्योति महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा., आगम मर्मज्ञ डॉ. श्रीचेतनाजी म.सा., मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा., तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं नवदीक्षिता हिरलप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा 6 के सानिध्य में चातुर्मासिक पक्खी पर धर्म आराधना करते हुए श्रावक-श्राविकाओं को आत्म कल्याण के लिए तप-त्याग करने का संदेश दिया गया। चातुर्मास शुभारंभ के अवसर पर श्री पूज्य महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मासिक पक्खी पर प्रतिक्रमण करते ही साधु-साध्वी आगामी पांच माह के लिए एक जगह स्थिर हो जाएंगे। चातुर्मास जप-तप-त्याग करने का समय है, जिससे जैसा भी हो आत्मशुद्धि के लिए तप-त्याग करना चाहिए। उन्होंने सुनकर जिनवाणी अब करो आत्म उद्धार चौमासो आयो रे गीत के माध्यम से नियमित प्रवचन सुनने का संदेश दिया। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञ डॉ. चेतनाजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास का अर्थ ज्यादा से ज्यादा छोड़ना यानि तप-त्याग करना है। चातुर्मास में तप की गंगा बहानी है। इन्द्रियों व मन, वचन व काया को वश में करने का समय चातुर्मास है। प्रभुजी के नाम की माला रोज फेरनी है। चेतनाजी म.सा. ने सभी को चातुर्मासिक पक्खी के अवसर पर रात्रि भोजन नहीं करने के प्रत्याख्यान भी कराए। उन्होंने चातुर्मासिक आराधना की प्रेरणा देने वाला गीत ‘चातुर्मासिक चतुर्दशी देखो आई आज है’ प्रस्तुत किया। मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमारे लिए जितना महत्व संवत्सरी का है उतना ही महत्व चातुर्मासिक पक्खी का भी है। उन्होंने नियमित प्रवचन सुनने की प्रेरणा देते हुए कहा कि 100 किताबे पढ़ने से जितना ज्ञान नहीं मिलेगा उससे अधिक ज्ञान एक घंटे नियमित प्रवचन श्रवण करने से मिलेगा। चातुर्मास आत्मकल्याण, आत्मशुद्धि के साथ आत्मा को निर्मल बनाने का अनुपम अवसर है। तत्वचिंतिका समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास आत्मचिंतन का अवसर देता है और अपने जीवन में बुराईयों व कषायों का त्याग कर पुण्यअर्जन करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए चातुर्मास की सार्थकता तभी होगी जब हम पांच माह के इस चातुर्मास से जुड़कर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे एवं तप-त्याग अधिक से अधिक करने की भावना रखेंगे। धर्मसभा में नवदीक्षिता हिरलप्रभाजी म.सा. ने भी गीत प्रस्तुत किया। धर्मसभा में प्रवचन के आधार पर पांच प्रश्न भी पूछे गए और सही जवाब देने वाले श्रावक-श्राविकाओं को प्रोत्साहन पुरस्कार श्रीसंघ द्वारा प्रदान किया गया। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के मंत्री सुरेन्द्र चौरड़िया ने किया। चातुर्मासिक प्रवचन के तहत 3 जुलाई को गुरू पूर्णिमा पर जीवन में गुरू के महत्व पर चर्चा होगी। नियमित प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक होगा।

सामूहिक आयम्बिल तप की आराधना

चातुर्मासिक पक्खी पर सामूहिक आयम्बिल की आराधना की गई। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने सामूहिक आयम्बिल किया। आयम्बिल से जुड़ी व्यवस्था श्रीसंघ द्वारा की गई थी। साध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि रूप रजत विहार में पहली बार कोई चातुर्मास होने से शुरू में लग रहा था अधिक आयम्बिल नहीं हो पाएंगे लेकिन श्रीसंघ के साथ श्रावक-श्राविकाओं ने जो भक्ति व माहौल बनाया उससे बहुत अच्छी तरह से आयम्बिल आराधना सम्पन्न हो रही है।

पहले दिन 12 घंटे सजोड़ा नवकार महामंत्र की आराधना

श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि अरिहन्त विकास समिति के तत्वावधान में चातुर्मास का आगाज रूप रजत विहार में 12 घंटे के सजोड़ा नवकार महामंत्र से हुआ। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप का आयोजन हुआ। इसमें शामिल होने वाले प्रत्येक जोड़े ने न्यूनतम एक घंटे नवकार महामंत्र का जाप किया। अधिकाधिक श्रावक-श्राविकाएं सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप में शामिल हो इसके लिए साध्वीवृन्द ने भी प्रेरणा प्रदान की थी। इसके चलते भीलवाड़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालुओं ने जाप में शामिल होकर पंचपरमेष्टीदेव की आराधना की। सजोड़ा नवकार मंत्र जाप आयोजन को सफल बनाने में अरिहन्त युवक मण्डल के अध्यक्ष प्रवीण गोखरू एवं मंत्री गौरव तातेड़ ने भी सक्रिय भूमिका निभाई।

प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना एवं दोपहर में धार्मिक चर्चा

चातुर्मासकाल में रूप रजत विहार में प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप होगा। चातुर्मास में प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना होगी। दोपहर 3 से 4 बजे तक साध्वीवृन्द के सानिध्य में धार्मिक चर्चा होगी। प्रत्येक रविवार प्रातः 8 से 8.30 बजे तक युवाओं के साथ धमचर्चा होगी। चातुर्मास में प्रत्येक मंगलवार सुबह 8.30 से 9 बजे तक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत जाप का आयोजन होगा। प्रत्येक रविवार को दोपहर 1 से 2 बजे तक बाल संस्कार कक्षा एवं दोपहर 3 से 3.40 बजे तक प्रश्नमंच का आयोजन होगा।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article