Saturday, September 21, 2024

संतबाद, संघवाद और पंथवाद छोड़ो सभी संघों के संतों से नाता जोड़ो: राष्ट्रसंत विहर्ष सागर जी

राजेश जैन दद्दू/इंदौर। जैन दर्शन में तीर्थंकर आदिनाथ से लेकर महावीर तक 24 तीर्थंकर हुए हैं और सभी हमारे लिए वंदनीय और पूजनीय हैं, सभी तीर्थंकरों ने जीवो के कल्याण के लिए एक समान उपदेश दिया है। वर्तमान में पंच परमेष्ठी के रूप में अरहंत, सिद्ध परमेष्ठी हमारे बीच नहीं है लेकिन आचार्य, उपाध्याय और मुनि परमेष्ठी उपलब्ध हैं और वे किसी भी संघ या पंथ के हों सभी समान रूप से पूज्यनीय व वंदनीय हैं और जगत कल्याणी जिनेंद्र की वाणी सुनाते हैं। इसलिए आज आवश्यकता इस बात की है कि जिस प्रकारआप 24 तीर्थंकरों को मानते हो उसी प्रकार वर्तमान में संत बाद, पंथवाद और संघवाद छोड़ो और समान रूप से सभी संघों के आचार्य, उपाध्याय और साधुओं से नाता जोड़ो एवं उनकी विनय पूर्वक भक्ति करो। यह उद्गार शुक्रवार को राष्ट्रसंत विहर्ष सागर जी महाराज ने दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में चल रहे। सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन में बैठे भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। आपने आगे कहा कि सिद्धचक्र मंडल विधान पूजन के माध्यम से जो लोग विनय पूर्वक सिद्ध परमेष्ठी की आराधना भक्ति कर रहे हैं वह सब पुण्य शाली जीव और भविष्य के भावी भगवान हैं। आचार्यश्री ने कहा कि जैन दर्शन एक ऐसा दर्शन है जिसपर हमें गर्व होना चाहिये जैन दर्शन में विनियाचार के साथ जो जीव शास्त्रों में वर्णित 16 भावनाएं भाता है उसका कल्याण होता है, कर्मों की निर्जरा होती है और उसका तीर्थंकर बनने का मार्ग प्रशस्त होता है। इसके पूर्व आचार्य श्री आज प्रातः कालानी नगर से बिहार करते हुए छत्रपति नगर पहुंचे जहा ट्रस्ट पदाधिकारी कैलाश जैन नेताजी, डॉक्टर जैनेंद्र जैन, राजेंद्र जैन, प्रकाश दलाल, रमेशचंद जैन, नीलेश जैन टैलेंट, राजेश जैन दद्दू, दिलीप जैन, राजेंद्र सोनी एवं महिला मंडल की सदस्यों ने पाद प्रक्षालन कर और श्रीफल चढ़ाकर आचार्य संघ की अगवानी की। मीडिया प्रभारी राजेश जैन दद्दू ने बताया कि कल शनिवार को भी आचार्य श्री के प्रवचन छत्रपति नगर में होंगे।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article