Sunday, September 22, 2024

नाटक राजा दाहिर सशक्त मंचन किया

जयपुर। जवाहर कला केंद्र में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयाम संस्था द्वारा नाटक राजा दाहिर सशक्त मंचन किया गया। यह नाटक सिंध के प्रसिद्ध के प्रतापी अंतिम हिंदु राजा दाहिर की जीवनी पर आधारित है। इसका निर्देशन किया है रंगकर्मी संदीप लेले ने। नाटक को छह माह की अभिनय कार्यशाला के दौरान तैयार किया गया। इस नाटक के लेखक उदय शंकर भट्ट हैं। इस नाटक को तत्कालीन पंजाब गवर्नमेंट द्वारा पुरस्कृत किया गया था तथा पंजाब बिहार और दिल्ली यूनिवर्सिटी राजपूताना बोर्ड, अजमेर की परीक्षाओं में भी यह नाटक मान्यता प्राप्त था। 5 अंकों और 30 प्रवेश और 51 पात्रों युक्त इस नाटक का कैनवस बहुत बड़ा है किंतु इसका यह संभवतया पहला ही मंचन है जो 2022 में आयाम संस्था द्वारा जयपुर में किया जा रहा है। राजा दाहर प्रतापी महाराजा चच के पुत्र थे जिन्होंने 644 ई. में सिंध की राजगद्दी संभाली थी। वह बड़े ही प्रतापी, वीर और यशस्वी राजा थे। चचनामे में, जो अरबों के आक्रमण और उनकी बहादुरी में लिखा गया है, में अरबी इतिहासकारों द्वारा उनकी वीरता की प्रशंसा स्थान स्थान पर की गई है। दाहर के ही राज्य काल में 712 ई. में अरबों की ओर से मोहम्मद बिन कासिम का सिंध पर भयंकर हमला हुआ जिसमें सिंध का विध्वंस हो गया। यह कथा राजा दाहर और उसके वीर पुत्र व पुत्रियों के संबंध में है। उच्च कोटि के साहित्यकार श्री उदयशंकर भट्ट जी ने इस नाटक में राजा दाहिर की बहादुर पुत्रियां किस प्रकार अपने अपने पिता का बदला लेती हैं उस घटना का बहुत ही रोमांचक वर्णन किया है। पार्श्व नाटक में संगीत राकेश दीक्षित और मयंक शर्मा ने दिया है इसके साथ ही रंगभूषा रवि बांका और प्रकाश संचालन शहजोर अली का रहा । अभिनय इस नाटक में प्रकाश दायमा, पल्लवी, विपुल, सक्षम, धीरज, विशाल, अभिषेक, भव्य, अंकित, विक्रम, राहुल, दिलीप, हृदया, तनया, दीपक अर्काय, इंद्रपाल सिंह, गौरव, अनुराग, अंकित सेन व आशुतोष ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। नाटक की शैली यह नाटक वियोगांत शैली में लिखा गया है। पाश्चात्य साहित्य में लिखे गए वियोगांत नाटक दर्शकों को अधिक आकृष्ट कर सके। शेक्सपियर ने भी बेहतरीन वियोगाअंत नाटक लिखे। ऐसे नाटकों का दर्शकों पर प्रभाव देर तक रहता है। पात्रों की विवशता उन्हें अपनी ओर खींचे रहती है। नाटक कला का जो वास्तविक तत्व है वियोगांत नाटकों में ही प्रतिफलित होता है। यद्यपि भारतीय नाटकों में वियोगांत शैली के नाटक कम मिलते हैं परंतु श्री उदयशंकर भट्ट ने काल और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए इस नाटक की रचना वियोगांत शैली में की और उसके सभी पात्र दाहिर, हैजाज, जयशाह, कासिम, खलीफा, सूर्यदेवी, परिमला, ज्ञानबुद्ध जीवन के अलग-अलग रसों को प्रतिध्वनित करते हुए दर्शकों के मन में अपना स्थान बना लेते हैं। आयाम संस्था द्वारा इस नाटक को इसके कैनवस की विशालता देखते हुए छह मास की कार्यशाला में तैयार किया गया है। जिसमें विभिन्न नवोदित एवं अनुभवी कलाकारों ने अपने दमदार अभिनय से जान डाली है। इस नाटक में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सुरेश बबलानी, योगेन्द्र गुरनानी, RAS, गणमान्य अतिथि थे।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article