Sunday, November 24, 2024

आचार्य श्री का छप्पनवां दीक्षा देश-भर में भक्ति भाव से मनाया

आचार्य श्री के अनंत उपकार है भारतीय वसुंधरा पर

अशोक नगर। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का छप्पन वां दीक्षा दिवस देश भर में भक्ति भाव से श्रद्धापूर्वक मनाया। इस दौरान आचार्य छत्तीसी विधान महा पूजन के साथ ही साथ छप्पन दीपों से आरती उतारी गई। सुभाष गंज मन्दिर के साथ आज प्रातः काल की वेला में भगवान के कलशाभिषेक के वाद जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्ति युवा वर्ग संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर के मंत्रोच्चार के साथ की गई। मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि पूरे अंचल के साथ ही देशभर में आचार्य श्री का छप्पन वां दीक्षा दिवस मनाया गया, वहीं सीधे प्रसारण में धर्म सभा को सम्बोधित किया।
दीक्षा तिथि को हमेशा याद रखना चाहिए: आचार्य श्री
डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्मृति तो वनी रहतीं हैं स्मृति अनुभव नहीं हो सकती है। वर्तमान का अनुभव कल स्मृति बन जाती है। वर्तमान के अनुभव से भविष्य को सुधारा जा सकता है। आचार्य श्री कुन्द कुन्द स्वामी ने कहा कि दीक्षा तिथि को याद करने को कहा है। दीक्षा को याद करने को क्या कहा, दीक्षा क्यों ली, दीक्षा लेने के वापिस नहीं होते, दीक्षा ली जाती है। पद दिए जाते हैं अनुभव वर्तमान का‌ होता है। अतीत का अनुभव नहीं होता है, देखने वाले हम है दीक्षा ली क्यों। नहीं तो एक घर में से आकर दूसरे घर में बैठने के समान है। गुरु ने मुझे गुरु समान कर दिया। गुरु ने मुझे गुरु समान बना लघु वन पद का निर्वाहन कर रहे हैं। पद कब तक जब तक चल रहा। आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने स्वयं घलू वनकर गुरु वना दिया ट्रेन चलती है एक छोर पर इंजन दूसरे छोर पर गार्ड रहता है। गार्ड दो झंडी लिए रहता है हरि झंडी दिखाने पर टेन चल देती है ऐसे ही हमारी डोर गुरु देव से जुड़ी है। उनका आशीर्वाद से सब कुछ चल रहा है लघु पन में रहकर भूलों नहींस्मृति को वार वार लाने से हमें उद्देश्य याद रहता है।
महान आत्माओं से कुछ कहना नहीं पड़ता: मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी
मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ने कहा कि महान आत्माओं से कुछ कहना नहीं पड़ता उनका चरणों में नतमस्तक होते ही आशीर्वाद मिल जाता है आज के दिन ही आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने राजस्थान के अजमेर शहर में अपने कर कमलों से आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को जैनेश्वरी दीक्षा दी थी उन्होंने कहाकि महान आत्माओं से कुछ कहना नहीं पड़ता उनके चरणों में नतमस्तक होते ही आशीर्वाद मिल जाता है।

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