उज्जैन। प. पू. श्रमणाचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य प.पू. श्रमण मुनि श्री प्रशमसागर जी संसंघ (3) एवं प. पू. श्रमण मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज संसंघ का आज तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की तपस्थली धर्मनगरी उज्जैन की पावन धरा पर प्रात:काल की बेला में भव्य मिलन सम्पन्न हुआ। मुनिश्री के आगमन पर शहर में जगह-जगह पाद प्रक्षालन हुआ, आरती उतारी गई। रंगोली सजायी गई। दिगम्बर जैन समाज उज्जैन के तत्वावधान में भव्य अगवानी की गई। प. पू. मुनिश्री सुप्रभसागर एवं प.पू. मुनि श्री प्रणत सागर जी महाराज उज्जैनी नगरी में वर्षायोग हेतु जुन्नारदेव (छिंदवाडा) से लगभग 400 किमी. का पद विहार करते हुए 19 जून को उज्जैन पहुँचे। इस मंगल विहार का संघपति बनने का सौभाग्य उज्जैन निवासी श्री शांतिकुमार-श्रीमती शशि, सौरभ श्रीमती कृतिका, दर्शित कासलीवाल परिवार को प्राप्त हुआ एवं ऋषिनगर दि. जैन समाज उज्जैन ने समन्वयक की भूमिका निभाते हुए मंगल विहार पूर्ण कराया। प.पू. मुनि प्रशमसागर जी, मुनि श्री साध्य सागर जी एवं मुनि श्री संयत सागर जी महाराज ससंघ भोपाल से मंगल पद विहार करते हुए वर्षायोग हेतु बड़नगर के लिए गमन चल रहा है। इस क्रम में आज उज्जैन के घंटाघर चौक पर पाँच विशुद्धरत्नों का वात्सल्यमयी मिलन देखकर भक्तों का हृदय गद्गद् हो गया। तत्पश्चात् पांचों मुनिराज श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर फ्रीगंज पहुँचे। मंदिर प्रांगण में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए प.पू. मुनि श्री सुप्रभसागर जी ने कहा कि निग्रंथों की प्रत्येक क्रिया-चर्या उनके मूलगुणों के पालन के लिए होती है। वे अनावश्यक रूप से न तो गमन करते हैं और न ही कोई क्रिया करते हैं। जब भोगी-रोगी व्यक्ति विषय-कषायों में लीन होकर सोता है तब वे योगी जागते हैं और जब योगी शारीरिक थकान मिटाने के लिए सोते हैं. तब भोगीजन जागते हैं। जहाँ नदियों का मिलन होता है उसे संगम कहते हैं, आज आपने जो विशुद्धधारा का वात्सल्यमयी संगम देखा है वह निश्चित ही पापनिर्जरा का कारण बनेगा। मुनि श्री प्रशमसागर जी महाराज ने कहा कि हमारा मिलन मिलने के लिए नहीं अपितु निज से निज का मिलन करने के लिए है। प. पू. मुनिश्री संसंघका कल प्रात: 7 बजे फ्रीगंज से मंगल विहार मंदिर के लिए होगा और वही मुनि संघ के नमक मंडी में प्रवचन एवं अहारचर्या सम्पन्न होगी। उक्त जानकारी डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर ने दी।