Sunday, November 24, 2024

जीवित पशुओं का निर्यात स्वीकार्य नहीं: आचार्य श्री विवेक सागर जी

अनिल पाटनी/अजमेर। दिगंबर जैन समाज के आचार्य विवेक सागर महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति पर बहुत बड़ा कुठाराघात होगा यदि जीवित पक्षियों का निर्यात भारत से होगा पिछले कुछ समय से जैन समाज में ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है इसी क्रम में आज दिगंबर जैन महासंघ के तत्वाधान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जिलाधीश महोदय के द्वारा ज्ञापन दिया गया संस्था के सचिव प्रकाश जैन पाटनी ने बताया पशुपालन मत्स्य विभाग के द्वारा दिनांक 7 जून को एक अधिनियम प्रस्तावित किया जिसमें जीवित पशुओं को कमोडिटी मानकर उनका एक्सपोर्ट किया जाना था जिसका विरोध एवं अधिनियम का वापस लेने हेतु समय सीमा 10 दिन की रखी गई थी जोकि न्याय संगत नहीं है भारतीय संविधान के मूल निर्देश तत्वों का हनन होता है यदि यह अधिनियम पास होता है जीवित प्राणियों की सुरक्षा एवं संवर्धन सरकार का दायित्व है जैन समाज अहिंसक समाज है पूर्व में भी मांस के निर्यात का भी पुरजोर निषेध किया था भारतीय संस्कृति मैं गाय की पूजा की जाती है जिसमें 34 करोड़ देवी देवताओं का निवास होता है ऐसी सनातन मान्यता है उसे निर्दयता पूर्वक मांस के लिए कांटा जाना कहां तक उचित है संस्था के अध्यक्ष प्रमोद सोनी ने कहा कि यदि सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेती है तो जैन समाज की अग्रणी भूमिका में सभी सामाजिक संगठनों को साथ लेकर एक मौन आंदोलन चलाएगी जब तक यह विधेयक वापस नहीं होता मूक प्राणियों की हत्या जैन समाज कभी स्वीकार नहीं करता समय अवधि के अंदर पिछले 10 दिन के अंदर लाखों लोगों ने मेल के द्वारा इसका विरोध किया है और आगे भी विरोध जारी रहेगा एसपीसीए की सदस्य डॉ मंजू शर्मा ने कहां की यह एक क्रूर तम अपराध है बाहर की रेवेन्यू को अर्जित करने के लिए जीवित पक्षी पशुओं का निर्यात करना मानवीय संवेदनाओं का दम निकालना है उन्होंने भी इस आंदोलन को उग्र रूप देने की घोषणा की यदि यह विधेयक पास होता है तो ज्ञापन देने वालों में ज्ञान चंद जैन, प्रेमचंद जैन, वीरेंद्र जैन, राजेंद्र पाटनी, महेंद्र काला, अजय पाटनी, राजेश काला, पवन बाकलीवाल समाज की अग्रणी संस्थाओं की बहने सहित अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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