शुद्ध देशी घी चाहिए… चाहे खाना हो या पूजन के लिए यदि आप घी बजार से खरीद रहे हैं तो सौ फीसद आप मिलावटी घी खरीद रहे हैं। गाँव में भी आजकल की महिलाओं के पास समय कम ही है। वे दूध से दही बना लेंगी किन्तु घी के लिए कौन मथनी करे, कौन रोज मक्खन एकत्र करे, कौन एक दिन तीक्ष्ण गंध मक्खन को गर्म कर घी निकाले? इतना माथापच्ची करने भर का समय है? नही। जब भी जरूरत पड़े तो घरेलू सामान की खरीद सूची में घी भी लिख दें। आसान है। जब गाँव आलसी हो जाता है तो शहर मिलावट खरीदने पर मजबूर होता है। शहर में सभी घी का प्रयोग करते हैं लेकिन कोई विकल्प न होने के कारण मजबूर हैं। इसका लाभ ठग बखूबी उठाते हैं। घी के नाम पर चमकीले डब्बों में मिलावट बेंच दिया जाता है। देशी घी के नाम पर बिकने वाले उत्पाद में यकीनन दो नम्बरी है। कुछ उत्पाद शुद्ध भी होंगे पर इसके लिए जाँच करना आवश्यक है। जिसे कोई भी बड़े आराम से कर सकता है। शुद्ध देशी घी के बनाने की विधि से सभी परिचित हैं। नकली घी कैसे बनता है जानते हैं- शुद्ध घी की कमी और बढ़ती माँग की पूर्ति के लिए घी में वनस्पति तैल का प्रचूर मात्रा में प्रयोग होता रहा है। अब जबकि घी मँहगा और वनस्पति तैल भी दाम में कम नही तो मुनाफे को दोगुना की दृष्टि से इसमें बड़े तौर पर आलू का प्रयोग किया जा रहा है। यदि आप आलू उबालकर उसे मैस करें तो कमोबेस घी का रंग ही मिलता है। अब सोचिए बारह-पंद्रह सौ ‘किलो के घी में पचास फीसद साठ-सत्तर’ किलो वाला आलू व वनस्पति तैल का मिश्रण डाल दिया जाए तो? घोटालेबाजों को मालूम है कि किस मिकदार में क्या-क्या मिश्रण प्रयुक्त हो कि देख-चख कर अन्दाजा लगाना मुश्किल हो। कुछ तो पूजन आदि के लिए प्रयोग किए जाने वाले घी में घी होता ही नही है। मात्र वनस्पति तैल व आलू का मिश्रण ही रहता है जिसमें केमिकल एसेंस की मदद से घी की खुश्बू चढ़ा दी जाती है।
पता कैसे करें- मान लीजिए आपके पास घर का बना घी और बाजारू घी उपलब्ध है। उसे दो अलग-अलग प्लेट में लें। अब चूँकि आलू में स्टार्च होता है जो आयोडीन के कुछ बूँदों के मिलने पर रिएक्ट करता है। पर्पल (जामुनी) रंग छोड़ देता है। आयोडीन की कुछ बूँदें डालकर जाँचें। यदि आयोडीन न मिले तो किसी मेडिकल स्टोर से पाॅयोडीन मलहम लेकर इस्तेमाल करें। इसमें भी आयोडीन होता है। पाॅयोडीन डालने पर शुद्ध घी के रंग में सिर्फ पाॅयोडीन का ब्राउन रंग ही दिखेगा। जबकि नकली घी एकदम स्याह हो जाएगा।
डाॅ. पीयूष त्रिवेदी, एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ