Sunday, September 22, 2024

जिन्दा पशु निर्यात पर आपत्ति दर्ज करें नही तो पशुओं को मारने के दोषी हम भी: मुनि सुधासगार

ललितपुर। अहिंसा धर्म को मानने वाले भारत देश में अब जीवित पशुओं को भी वस्तु मानकर उन्हें निर्यात किए जाने के लिए संसद में पशुधन आयात निर्यात विधेयक 2023 को प्रस्तुत कर उसे पारित किए जाने की तैयारी केंद्र सरकार कर रही है। इस संबंध में भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है, जिसे संसद के इसी सत्र में प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। इस विधेयक को लाने का मुख्य उद्देश्य अभी तक भारत से किए जा रहे मांस निर्यात के साथ-साथ अब जीवित पशुओं का भी निर्यात किया जा सके ताकि उनका वध किया जाकर मांस का उत्पादन बढ़ाया जा सके और दुनिया में मांस की मांग अनुसार आपूर्ति होकर मांसाहार को बढ़ावा मिले।
झांसी में विराजमान मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने सभी से आह्वान किया है की जिन्दा पशु निर्यात पर आपत्ति दर्ज करें नही तो पशुओं को मारने के दोषी हम भी हैं।पशुपालन एवं डेयरी, विभाग भारत सरकार के पत्र दिनांक 7 जून 23 के अनुसार जिंदा पशुओं को भारत से निर्यात करने लिये एक नए विधेयक लाने की साजिश की जा रही है (पत्र की प्रति संलग्न)। इसका विरोध होना चाहिए।
मूक पशु नहीं हैं कमोडिटी: सरकार को स्मरण रखना चाहिए कि जिंदा मूक पशु कोई पंसारी की दुकान पर मिलने वाली कमोडिटी (वस्तु) नहीं है, जिसका निर्यात किया जा सके? जीवित पशुओं को कमोडिटी मानकर उनका निर्यात करना संविधान की मूल भावनाओं के उपबंधों के भी विरुद्ध है। सरकार आज जीवित पशुओं को वस्तु मानकर उनका निर्यात करना चाहती है तो क्या कल जीवित इंसानों को भी कमोडिटी (वस्तु) मानकर उनका भी निर्यात करेगी?
तीर्थक्षेत्र कमेटी उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के मंत्री डॉ सुनील जैन संचय ने प्रस्तावित विधेयक का विरोध करते हुए विधेयक को अहिंसा और शाकाहार में विश्वास रखने वाली समाज की भावनाओं को आहत और जीवित मूक पशुओं पर अत्याचार करने वाला बताते हुए विधेयक को संसद में प्रस्तुत न किए जाने की मांग की है। ईमेल से संबंधित मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है तथा ट्विटर के माध्यम से विरोध दर्ज कराया है।
आपने पशुओं के प्रति करुणा एवं वात्सल्य का भाव रखने वाली एवं अहिंसा और शाकाहार में विश्वास रखने वाली समस्त समाज से आह्वान किया है कि प्रस्तावित विधेयक के विरोध में राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, कृषि मंत्री और मत्स्य पशुपालन डेयरी मंत्री को ज्ञापन भेजकर विधेयक को रोकने की मांग करें।
प्रस्ताविक पशुधन आयात-निर्यात विधेयक 2023 में मूक व निर्दोष “जीवित पशुधन” को निर्जीव वस्तु, कृषि उत्पाद, जिंस के समान निर्धारित कर ‘कमोडिटी’ लिखना संविधान व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लघन है, कृपया विधेयक निरस्त करें।
सोशल मीडिया में भारी विरोध: जैसे ही प्रस्ताविक पशुधन आयात-निर्यात विधेयक की जानकारी लोगों को लगी सोशल मीडिया पर भारी विरोध शुरू हो गया। सैकड़ों की संख्या में ईमेल सरकार को इसके विरोध में भेजे जा रहे हैं। अनेकानेक संतों के वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहे हैं, ज्ञापन दिए जा रहे हैं। ललितपुर जनपद से भी बड़ी संख्या में इस विधेयक के विरोध में ईमेल से ज्ञापन भेजे गए हैं। ट्विटर के माध्यम से भी भारी विरोध दर्ज करा रहे हैं।

सभी लोग gagan.garg@nic.in with copy at gn.singh13@nic.in इस पर अपनी आपत्ति भेजें।

जताया विरोध: तीर्थक्षेत्र कमेटी उत्तर प्रदेश, प्रागैतिहासिक तीर्थक्षेत्र नवागढ़, अतिशय क्षेत्र गिरार, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद, अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत परिषद, जैन मिलन, जैन महासभा, शिक्षक सामाजिक समूह, श्रमण संस्कृति स्नातक परिषद, महासमिति, प्रभावना जनकल्याण परिषद, युवा संगठन आदि संस्थाओं के सैकड़ों लोगों ने ईमेल भेजकर भारी विरोध दर्ज कराया है।

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